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कोरोना की दहशत किस कदर हावी है, इसका नजारा ट्रेनों के आरक्षित कोच में देखा जा सकता है….

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कोरोना की दहशत किस कदर हावी है, इसका नजारा ट्रेनों के आरक्षित कोच में देखा जा सकता है, जहां लगातार बुकिंग कैंसिल होने से यात्रियों का टोटा है। दूसरी ओर जनरल कोच में रोजाना सफर करने वाले साधारण यात्रियों को एक-दूसरे की सांसें महसूस करते भीड़ भरा सफर करने मजबूर होना पड़ रहा। ऐसे में अगर जनरल कोच का दबाव कुछ दिनों के लिए खाली चल रहे शयनयान में स्थानांतरित कर साधारण टिकट पर सफर करने की राहत दे दी जाए, तो उन यात्रियों में भी संक्रमण का डर दूर किया जा सकता है।

लोकल व एक्सप्रेस ट्रेनों में अनारक्षित कोच की बात करें या आरक्षित की, हर साल बड़ी संख्या में यात्रियों को भीड़ में जगह खोजते हुए किसी कोने में दुबक कर सफर करने मजबूर होना पड़ता है। कोच की संख्या और यात्री क्षमता के मुकाबले कोरबा की ट्रेनों से साधारण कोच में हर रोज 900 तो आरक्षित कोचों में भी औसतन 821.90 से ज्यादा मुसाफिर ठूंस-ठूंस के बैठने या खड़े-खड़े ही यात्रा को मजबूर होते हैं। एक अर्से से अतिरिक्त साधारण कोच की सुविधा महसूस की जा रही है, बावजूद इसके रेल प्रबंधन इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं। अब, जबकि कोरोना वायरस के बढ़ते कदम रोकने भीड़ से परहेज की जरूरत है, ट्रेनों में भीड़ का दबाव कम करने की तत्काल जरूरत है। मौजूदा स्थिति में कोरोना की दहशत के चलते ज्यादातर एक्सप्रेस ट्रेनों में आरक्षित बर्थ कैंसिल कराए जा रहे, इसलिए स्लीपर कोच खाली दिखाई दे रहे। पर जनरल कोच में लोग भीड़ में जद्दोजहद करने अब भी परेशान हो रहे। ऐसे में साधारण कोच का दबाव स्लीपर कोच में डायवर्ट कर उनकी मुश्किलें व कोरोना संक्रमण का डर कम किया जा सकता है।

-शिवनाथ में 269, लिंक में 116 व छग में 130 सीट खाली

आम दिनों में स्टेशन के साधारण टिकट काउंटर पर प्रतिदिन करीब डेढ़ लाख की आय अर्जित की जाती है। इनके जरिए हर रोज औसतन चार हजार से अधिक यात्री ट्रेनों के सफर पर निकलते हैं। पीक सीजन में यात्रियों की संख्या चार हजार 600 से अधिक पहुंच जाती है। कोरोना के चलते पिछले कुछ दिनों से साधारण यात्रियों की संख्या और उनसे होने वाली आय भी प्रभावित हुई। शुक्रवार के आरक्षण पर गौर करें तो शिवनाथ में 269 सीट उपलब्ध है। इसी तरह लिंक एक्सप्रेस में 116 व छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में 130 सीट पर आरक्षण नहीं है, जिसमें साधारण कोच के यात्रियों को डायवर्ट किया जा सकता है।

-इन तीन ट्रेनों में कन्वर्ट करने का विकल्प

कोरबा से प्रतिदिन चल रही तीन ट्रेनोंकोरबा-विशाखापट्टनम लिंक एक्सप्रेस, कोरबा-इतवारी शिवनाथ व छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में साधारण कोच के यात्रियों को स्लीपर में सफर करने की राहत प्रदान की जा सकती है। अनारक्षित टिकट लेकर स्लीपर क्लास में सफर का दायरा भी कम से कम सीमित दूरी के स्टेशनों जैसे 93 किलोमीटर में बिलासपुर व 200 किलोमीटर में रायपुर व 373 किलोमीटर की दूर स्थित गोंदिया स्टेशन तक दिया जा सकता है। इन ट्रेनों में नजर आने वाली ज्यादातर भीड़ बिलासपुर व रायपुर तक की दिखाई देती है, जिनमें नौकरीपेशा, व्यापारी व विद्यार्थी वर्ग शामिल हैं।

-व्यवस्था नियमानुसार, हो रही मॉनिटरिंग : सीनियर डीसीएम

रेलवे के सीनियर डीसीएम पुलकित सिंघल का कहना है कि किसी एक्सप्रेस के आरक्षित कोच में बैठने स्लीपर का टिकट तो लेना ही होगा। जनरल टिकट में ही उन्हें स्लीपर में कनवर्ट नहीं कर सकते। नियमानुसार स्लीपर खाली हो तो टीटीई से पूछकर बैठ सकते हैं। पिछले तीन-चार दिन से रेलवे के अधिकारी जनरल कोच की भी मॉनिटरिंग कर रहे हैं, लेकिन इस बीच कोरबा रूट में ऐसी कोई भी ट्रेन नहीं मिली, जिसमें ओवर क्राउडेड हो। सभी ट्रेन उपलब्ध क्षमता के अनुरूप ही चल रही और कुल सीटों में 70 से 80 फीसदी साधारण यात्री ही सफर कर रहे। अगर अधिक यात्रियों की भीड़ दिखी और क्षमता से ज्यादा यात्री मिले, तो अतिरिक्त कोच की सुविधा देंगे।

-सफाई हुई पर बेधड़क गंदगी फैला रहे लोग

रेलवे स्टेशन के भीतर व परिसर में लगातार साफ-सफाई के साथ कचरे का उठाव किया जा रहा। जीवाणु नाशक व संक्रमण नाशक द्रव्य भी प्रयोग किए जा रहे। पर कई ऐसे यात्री भी दिखाई दिए जो प्लेटफॉर्म में बेधड़क गंदगी फैला रहे थे। कुछ को गुटखा चबाते हुए बार-बार प्लेटफार्म व पटरियों पर जहां-तहां थूंकते भी देखा गया। आम दिनों में टिकट चेकिंग व गंदगी फैलाने वालों पर जुर्माना करने वाली रेलवे की टीम आपात जरूरत के वक्त सक्रिय नहीं दिखी, जो ऐसे गैर जिम्मेदारों को सबक सिखाने नदारद थी।

-क्या कहते हैं यात्री

आज तो ट्रेन में साफ-सफाई दिखी

फोटो नंबर-19केओ16- इम्तियाज।

बिलासपुर से पैसेंजर में सवार होकर कोरबा लौटे इम्तियाज अली ने बताया कि जिस कोच में वे बैठे थे, उसमें उन्हें गुरुवार को साफ-सफाई दिखाई दी। आमतौर पर पहले की स्थिति में जिस तरह से कूड़ा-करकट व गंदगी ट्रेन में दिखाई देती थी, आज व्यवस्था में सुधार देखने को मिला। उम्मीद है कि यह जारी रहेगा पर भीड़ को कम करने कोई राहत नहीं है।

कम से कम अतिरिक्त कोच लगाएं

फोटो नंबर-19केओ17- ईश्वर।

बिलासपुर-गेवरा पैसेंजर सह शिवनाथ एक्सप्रेस में बिलासपुर से लौटे ईश्वर सोनी ने बताया कि एक्सप्रेस की रैक की बजाय मेमू लोकल को भेज दिया जाता है, जिसमें दिन-भर की भाग-दौड़ से जूझने के बाद थके-हारे लोग भूखे-प्यासे लौट रहे होते हैं। ऐसे में ट्रेन की गंदगी उनकी सेहत बिगाड़ सकती है। अतिरिक्त कोच की जरूरत तत्काल पूर्ण होनी चाहिए।

सबसे ज्यादा भीड़ कैरी कर रही रेल

फोटो नंबर-19केओ18- भीष्म।

भिलाई में रहने वाले भीष्म साहू गुरुवार को लिंक एक्सप्रेस में सवार होकर रायपुर के लिए रवाना हुए। उन्होंने बताया कि ट्रेन में अपेक्षा के अनुरूप सफाई नहीं दिख रही। पानी से जरूर वॉश किया गया है, पर अब भी बदबू महसूस की जा सकती है। सबसे ज्यादा भीड़ कैरी करने वाले रेल में हाईजीन मेंटेन रखने ज्यादा सतर्कता की जरूरत है। यात्री खुद की जिम्मेदारी में सेहत संभाल रहे।

कई राज्यों से गुजरती हैं एक्सप्रेस ट्रेनें

फोटो नंबर-19केओ19- संजय।

रायपुर के रहने वाले संजय साहू भी लिंक एक्सप्रेस में ही सवार होकर रायपुर गए। उन्होंने भी यही कहा कि जितनी होनी चाहिए, उतनी क्लीनिंग नहीं की जा रही। टॉयलेट व कोच के फर्श वैसे तो देखने में साफ लग रहे पर लंबे सफर की ऐसी एक्सप्रेस ट्रेनें जो कई राज्यों से होकर गुजरती हैं, उनमें विशेष सावधानी की जरूरत है। पर ऐसा नहीं हो रहा और हम मास्क के भरोसे सफर कर रहे।

स्टेशन में बिना वजह प्रवेश पर रोक लगे

फोटो नंबर-19केओ20- देवप्रसाद।

अपने परिचित को लेने स्टेशन आए देवप्रसाद ने कहा कि ट्रेन के आते व रवाना होते वक्त यात्रियों के अलावा उन्हें छोड़ने आने वालों की भारी भीड़ जुटती है। इस पर भी रोक लगाई जानी चाहिए। लोगों को स्वयं जागरूक होते हुए जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभानी चाहिए, ताकि बेवजह की भीड़ निर्मित न हो। इससे उनकी व दूसरों की सेहत की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।