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वन विभाग ने केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक परियोजना के लिए 1742.60 हेक्टेयर वन भूमि के इस्तेमाल को मंजूरी देने की अनुशंसा की है।

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छत्तीसगढ़ में वन विभाग ने राज्य के सरगुजा जिले के जैव विविधता से समृद्ध हसदेव अरंड वन में केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक परियोजना के लिए 1742.60 हेक्टेयर वन भूमि के इस्तेमाल को मंजूरी देने की अनुशंसा की है।

राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है तथा राज्य सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। यह अनुशंसा सरगुजा वन मंडल के वनमंडल अधिकारी (डीएफओ) द्वारा इस साल 26 जून को स्थल निरीक्षण के बाद की गई।

डीएफओ द्वारा जारी अनुशंसा पत्र में कहा गया है, ‘‘उपरोक्त जानकारी/ विवरण मेरे द्वारा 26 जून 2026 को किए गए भौतिक निरीक्षण के आधार पर है। आवेदक द्वारा मांग की गई वन भूमि को गैर वानिकी प्रयोजन कोयला उत्खनन कार्य ‘केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक’ खुली खदान परियोजना आवेदक संस्थान, राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल), जयपुर के लिए वन भूमि व्यपवर्तन प्रस्ताव की स्वीकृति की अनुशंसा की जाती है।”

यह खदान आरआरवीयूएनएल को भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा 2015 में आवंटित की गई थी।

अनुशंसा के साथ संलग्न निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘वन क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के अनुमानित कुल 4,48,874 पेड़ हैं। वहीं रामगढ़ पुरातात्विक स्थल एवं पर्यटन क्षेत्र केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक से 11 किमी की दूरी पर स्थित है। यह पुरातात्विक महत्व का एक धार्मिक स्थल है।’’

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कदम की निंदा की है और कहा है कि परियोजना को मंजूरी मिलने से हसदेव अरंड वन में छह लाख से ज्यादा पेड़ कट सकते हैं।

बघेल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘एक पेड़ मां के नाम’ नारा लगाने वाली भाजपा की विष्णु देव साय सरकार हसदेव के जंगलों में अदाणी को जंगल काटने की एक और अनुमति दे रही है। केते विस्तार कोयला ब्लॉक 1760 हेक्टेयर में 1742 हेक्टेयर यानी 99 प्रतिशत घना जंगल है। इसमें कटाई का मतलब है 6,00,000 से अधिक पेड़ों की कटाई। पूरा ब्लॉक चरनोई नदी का जल ग्रहण क्षेत्र है जिसके संरक्षण की सिफारिश जैव विविधता अध्ययन रिपोर्ट ने भी की है। केते एक्सटेंशन की पर्यावरणीय और वन स्वीकृति को हमने अपनी सरकार में रोके रखा था लेकिन भाजपा सरकार ने इसे अनुमति दे दी है।’’

बघेल ने कहा, ‘‘इस ब्लॉक में केंद्र सरकार ने जो भूमि अधिग्रहण किया था हमारी सरकार ने उसका भी विरोध किया था परंतु मोदी सरकार ने अदाणी के लाभ के लिए अधिग्रहण जारी रखा। ये कोल ब्लॉक राजस्थान सरकार की विद्युत कंपनी के पास है और राजस्थान सरकार ने अदाणी को एमडीओ नियुक्त कर रखा है। आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान को सालाना जितने कोयले की जरूरत है वह पीईकेबी की चालू खदान से अभी कम से कम 15 बरस तक पूरी हो सकती है। इसका अर्थ यह है कि राजस्थान की जरूरत से अधिक कोयला निकालने के लिए अदाणी की कंपनी परसा और केते एक्सटेंशन में वनों की व्यर्थ कटाई कर रही है।’’

पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर राज्य सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग की है और कहा, ‘‘हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ की अमूल्य संपत्ति है – रामगढ़ पहाड़ सरगुजा, छत्तीसगढ़ और भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और जनआस्था की एक अनमोल धरोहर है। पूंजीपतियों के स्वार्थ के लिए हम इन्हें किसी भी हालत में नष्ट नहीं होने देंगे। सरकार इस फैसले को तुरंत वापस ले, अन्यथा जनमानस के साथ मिलकर इसका पुरजोर विरोध करेंगे और सरकार को इसे रोकने पर मजबूर करेंगे।’’

हसदेव अरंड क्षेत्र में कोयला खदानों के आवंटन के विरोध में सबसे आगे रहे छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि प्रस्तावित खनन स्थल चोरनई नदी के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है और लेमरू हाथी अभयारण्य से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है।

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर इस क्षेत्र में खनन गतिविधियां आगे बढ़ती हैं तो मानव-हाथी संघर्ष बढ़ सकता है।

शुक्ला ने कहा, ‘‘इस ब्लॉक के लिए 1742 हेक्टेयर वन भूमि में पांच लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे। अब तक मौजूदा भाजपा सरकार हसदेव क्षेत्र में कोयला खदानों के लिए पेड़ों की कटाई के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को दोषी ठहरा रही थी। लेकिन अब वह मंजूरी दे रही है।’’

उन्होंने परियोजना को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि यह खदान सरगुजा के प्रसिद्ध रामगढ़ पर्वत को भी नष्ट कर देगी।