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खराब मौसम, बूंदाबांदी से जनजीवन फिर बेहाल

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धमतरी- खराब मौसम और शीतलहर थमे ठीक से सप्ताहभर नहीं हुआ है और एक बार फिर मौसम का मिजाज बदल गया। सुबह से शाम तक आसमान में बादल छाने के साथ ठंडी हवा चलती रही। दोपहर को शहर समेत आसपास के गांवों में बूंदाबांदी भी हुई। तापमान गिरने के साथ शाम को सर्द हवाएं शुरू हो गईं। ठंड बढ़ने से लोग गर्म कपड़ों का सहारा लेने लगे हैं। खराब मौसम से किसानों के खेतों में तैयार हो रही दलहन-तिलहन फसल पर खतरा मंडराने लगा है।

मकर संक्रांति के बाद मौसम का मिजाज गर्म होने लगा था। तेज धूप पड़ने के साथ लोग गर्मी का अहसास कर रहे थे। शहर समेत अंचल में सुबह व रात को ठंड कम हो गई थी, लेकिन पर्व मनाने के पांचवें दिन 19 जनवरी रविवार को एक बार फिर मौसम का मिजाज बदल गया। सुबह से शाम तक आसमान में बादल वाला मौसम बना रहा। दोपहर को शहर व आसपास गांवों में बूंदाबांदी हुई। दिनभर ठंडी हवा चलने से वातावरण सर्द होने लगा है। शाम को समय से पहले अधिक ठंड का अहसास होने के कारण लोग गर्म कपड़ों का सहारा लेकर घरों से बाहर निकले। शाम को ठंड बढ़ने के कारण अलाव भी जलते दिखे। चार-पांच दिनों से ठंड कम होने के कारण अलाव जलने बंद हो गये थे। खराब मौसम के कारण दोपहर को वातावरण का तापमान 24 से 25 डिग्री सेल्सियस रहा। सुबह न्यूनतम तापमान 18 से 20 और दोपहर को अधिकतम 28 से 30 डिग्री सेल्सियस बना रहा। कई लोग खराब मौसम से बचते रहे, क्योंकि इसका विपरीत असर लोगों की सेहत पर पड़ सकता है। जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ संजय वानखेड़े ने बताया कि मौसम में अचानक परिवर्तन होने से ज्यादातर लोग सर्दी व खांसी से परेशान होकर उपचार कराने अस्पताल पहुंच रहे हैं। वातावरण गर्म होने के बाद अब फिर ठंडा होने लगा है। इससे मौसमी बीमारियों का प्रकोप फिर से शुरू होने की आशंका है।

दलहन-तिलहन फसल होगी प्रभावित– किसान मनराखन लाल साहू, रूप सिंह, चेतनराम, पुनारद राम ने बताया कि मौसम के उतार-चढ़ाव का विपरीत असर किसानों के खेतों में तैयार हो रही दलहन-तिलहन फसल पर पड़ेगा। खासकर बूट वाले चना जिस पर फल लगे हुए हैं, उसमें कीट प्रकोप सबसे ज्यादा होने की आशंका है। तिवड़ा व सामान्य चना फसल बादल वाले मौसम से काफी प्रभावित होंगे। पौधों का विकास थम जाएगा। बूंदाबांदी से दोनों फसल को भारी नुकसान है। इसका विपरीत असर दलहन-तिलहन फसल के उत्पादन पर पड़ेगा। वहीं बूंदाबांदी गेहूं व रबी में लगाई धान फसल के लिए वरदान है। क्योंकि इन फसल को पानी की जरूरत है। वहीं बूंदाबांदी व खराब मौसम से एक बार फिर समर्थन मूल्य में धान खरीदी करने वाली समितियों की चिंता बढ़ गई है। मौसम को देखते हुए समिति पदाधिकारी, सदस्यों ने मजदूरों के सहारे उपार्जन केंद्रों में खरीदे गए धान व शेड पर रखे धान को पॉलीथिन व कैपकवर से ढंका है, ताकि बारिश होने पर धान सुरक्षति रह सके। जिला नोडल अधिकारी प्रहलाद पुरी गोस्वामी ने बताया कि खराब मौसम को देखते हुए उपार्जन केंद्रों में खुले में पड़े धान को कैपकवर से ढंकने के लिए निर्देशित किया गया है।