Home News नक्सल प्रभावित नारायणपुर में अनूठी योजना, अब बंजर जमीन उगलेगी सोना…

नक्सल प्रभावित नारायणपुर में अनूठी योजना, अब बंजर जमीन उगलेगी सोना…

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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले की करलखा पंचायत के 215 एकड़ बंजर भूमि को फिर से हरा-भरा बनाने की कवायद शुरू हो गई है। जिला प्रशासन के द्वारा यहां के 165 किसानों को सामूहिक खेती से जोड़कर ग्रीन हब बनाने की तैयारी की जा रही है। नौकरी की आस में बैठे गांव के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को खेती के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने का गुरु मंत्र दे कर कलेक्टर पीएस एल्मा उनमें नया जोश भर रहे हैं। प्रशासन से सकारात्मक सहयोग मिलने के बाद अब गांव के युवा एक यहां खाली पड़ी 215 एकड़ जमीन में आधुनिक खेती करने के लिए लालायित नजर आ रहे हैं। जिला प्रशासन के द्वारा यहां के 165 किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए इस जमीन में फेंसिंग तार लगाया जा रहा है। वहीं डबरी और तालाब निर्मांण के साथ नलकूप खनन किया जा रहा है।

मनरेगा के माध्यम से सड़क का निर्माण

215 एकड़ जमीन के चारों ओर मनरेगा के माध्यम से सड़क का निर्माण भी किया जाएगा। जिससे किसानों को अपनी पैदावार को निकालने में आसानी होगी। नईदुनिया से चर्चा में कलेक्टर पीएस एल्मा ने बताया कि करलखा के ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खेती किसानी से जोड़ा जा रहा है। गांव के पढ़े-लिखे युवा नौकरी न मिलने से निराश होकर घर में बैठे हुए हैं। ऐसे युवाओं को मौका देख कर खेती किसानी से गांव की तस्वीर बदलने की पहल की जा रही है।

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तिलहन फसलों के लिए निशुल्क बीज

उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में सभी को नौकरी मिल पाना कठिन है। ऐसे में स्वयं के संसाधनों का भरपूर उपयोग करते हुए आत्मनिर्भर बनना चाहिए। जिला प्रशासन के द्वारा ग्रामीणों को नकदी फसल के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। दलहन और तिलहन फसलों को लेने के लिए निशुल्क बीज दिए जा रहे हैं।

गर्मी की फसल के साथ रबी और खरीफ

कलेक्टर ने बताया कि 165 किसानों में से कई किसान 50 डिसमिल से लेकर 5 एकड़ तक के भूस्वामी हैं, लेकिन वे अपनी जमीन का उपयोग नहीं करते हैं। किसानों को प्रोत्साहित कर गर्मी की फसल के साथ रबी और खरीफ की फसल लेकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है। इन किसानों में 75 फीसद किसान आदिवासी समुदाय से हैं।

युवाओं के चेहरे पर अब चमक

कलेक्टर का सकारात्मक सहयोग पाकर करलखा के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के चेहरे पर अब चमक दिखाई दे रही है। पूर्वजों की बंजर भूमि की सीरत बदलकर वे अपने सपनों को पंख लगाने के लिए तैयार नजर आ रहे हैं। शिक्षित युवा बेरोजगार प्रशांत यदु का कहना है कि जिला प्रशासन के द्वारा गांव के लोगों को प्रोत्साहित कर स्वावलंबन की दिशा में कारगर कदम उठाया जा रहा है।

सामुदायिक खेती की पहल

वे कहते हैं कि गांव के अधिकांश युवा नौकरी नहीं मिलने से निराश होकर भटक रहे थे। इन्हें सामुदायिक खेती की इस पहल के जरिए अब अपने सपने को संवारने का मौका मिल रहा है। वहीं गांव के सरपंच घस्सूराम का कहना है कि खेती-किसानी के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध करवाकर जिला प्रशासन के द्वारा आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान की जा रही है।

हरे चारे की व्यवस्था के लिए सुविधाएं

दूध ग्राम के नाम से चर्चित करलखा पंचायत के दुध व्यवसायियों को दाना के झंझट से मुक्ति दिलाने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा बड़ा कदम उठाया जा रहा है। डेयरी संचालकों को गांव में ही हरे चारे की व्यवस्था के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे उनहें मवेशियों के लिए कम कीमत पर हरा चारा उपलब्ध होगा। पशुपालकों को इस प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण कड़ी मानते हुए जोड़ा गया है। जिला प्रशासन के द्वारा डेयरी संचालकों को गोबर से जैविक खाद बनाने के लिए भी प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।