बीता वर्ष 2019 एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र के लिए काफी महंगा साबित हुआ। कोयला उत्पादन के क्षेत्र में यहां की स्थिति अत्यंत दयनीय है। वर्ष 2019-20 के बीते नौ माह में क्षेत्र अपने निर्धारित उत्पादन लक्ष्य से आठ लाख 90 हजार 265 टन पीछे होने के साथ करीब 265 करोड़ रुपये के घाटे में है, जिससे यहां का अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आ रहा है।
कोयला उत्खनन के लिए अधिग्रहित भूमि का स्वामित्व नहीं मिल पाने के साथ ही क्षेत्र की कोयला खदाने पुरानी होने की वजह से पिछले कई वषोर् से एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र में कोयला उत्पादन संकट बरकरार है। तमाम प्रयासों के बावजूद पिछले कई वषोर् से यह क्षेत्र काफी घाटे में चल रहा है। एसईसीएल बिलासपुर मुख्यालय द्वारा एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र में वर्ष 2019-20 का कोयला उत्पादन लक्ष्य 20 लाख 70 हजार टन तथा ओबी उत्पादन का लक्ष्य एक करोड़ 15 लाख 92 हजार 500 क्यूबिक मीटर निर्धारित किया गया है, जिसके जवाब में क्षेत्र को बीते 31 दिसंबर तक भूमिगत खदानों से पांच लाख 79 हजार टन व ओपन कास्ट खदानों से सात लाख 30 हजार टन कोयला उत्पादन करना था, लेकिन प्रबंधन ने भूमिगत खदानों से मात्र चार लाख 18 हजार 735 टन कोयला ही उत्पादन कर सका, जबकि ओपन कास्ट खदानों से कोयला उत्पादन शून्य रहा। कमोबेश ओबी उत्पादन में भी यह क्षेत्र निर्धारित उत्पादन लक्ष्य से 69 लाख 35 हजार क्यूबिक मीटर पीछे रहा।
क्षेत्र की ओपन कास्ट खदानों में कोयला उत्पादन की स्थिति शून्य रही। रेहर भूमिगत खदान में 31 दिसंबर तक 14 लाख एक हजार टन के स्थान पर 90 हजार 35 टन कोयला उत्पादन किया जा सका। ये खदान अपने उत्पादन लक्ष्य से 50965 टन पीछे है। गायत्री भूमिगत खदान में दो लाख 12 हजार टन के स्थान पर एक लाख 82 हजार 530 टन कोयला उत्पादन किया गया। ये खदान अपने उत्पादन लक्ष्य से 29470 टन पीछे रही। कुम्दा न्यू भूमिगत खदान में 98 हजार टन के स्थान पर 66 हजार 760 टन तथा बलरामपुर भूमिगत खदान में 96 हजार टन के स्थान पर 79 हजार 410 टन कोयला ही उत्पादन किया जा सका। 70 हजार टन उत्पादन लक्ष्य वाली केतकी भूमिगत परियोजना का शुभारंभ ही नहीं हो पाने से उत्पादन ही प्रारंभ नहीं हो सका। यही कारण है कि बिश्रामपुर क्षेत्र चालू वित्तीय वर्ष के बीते नौ माह में अपने निर्धारित कोयला उत्पादन लक्ष्य से आधा कोयला उत्पादन भी नहीं कर सका।
एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र में तीन ओपन कास्ट खदाने हैं। बिश्रामपुर ओपन कास्ट खदान बंदी की कगार पर है। इस प्रकार में विगत दो वर्ष से कोयला उत्पादन बंद है। अमेरा ओपन कास्ट परियोजना एवं आमगांव ओपन कास्ट परियोजना में अधिग्रहित भूमि का स्वामित्व नहीं मिल पाने की वजह से करीब सवा साल से कोयला उत्पादन पूरी तरह बंद है। यही कारण है कि बिश्रामपुर क्षेत्र में कोयला उत्पादन की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। क्षेत्र की ओपन कास्ट खदानों में कोयला उत्पादन पूरी तरह प्रभावित होने से चालू वित्तीय वर्ष के बीते नौ महीने में क्षेत्र के घाटे का आंकड़ा 265 करोड़ रुपये से भी पार कर गया है। बताया जा रहा है कि आमगांव ओपन कास्ट परियोजना के साथ ही उत्पादन की बाट जोह रही क्षेत्र की नवागत केतकी भूमिगत परियोजना में चालू वित्तीय वर्ष में ही कोयला उत्पादन प्रारंभ कर लिया जाएगा।
चोरियों से भी बढ़ रहा घाटा
कोयला उत्पादन संकट से जूझ रहे बिश्रामपुर क्षेत्र में संदिग्ध पुलिसिया कार्यप्रणाली से क्षेत्र के कोयला खदानों में डकैती स्टाइल में आए दिन घटित हो रही चोरियों की वारदातों से भी क्षेत्र में घाटे का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। रात्रि पाली में ड्यूटी करने वाले कोयला कामगारों की जान खतरे में होने से वे भाई के साये में ड्यूटी करने को मजबूर है। चोरियों की लिखित सूचना संबंधित थानों में दिए जाने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने से पुलिस की भूमिका संदिग्ध होने के साथ ही चोरियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
कोयला उत्पादन संकट से क्षेत्र का घाटा निरंतर बढ़ रहा है। अधिग्रहित भूमि का स्वामित्व मिलने में आ रही अड़चन एवं भूमिगत खदानों के पुरानी होने की वजह से क्षेत्र में कोयला उत्पादन संकट की स्थिति निर्मित है। आमगांव ओपन कास्ट खदान एवं नवागत केतकी भूमिगत खदान से कोयला उत्पादन जल्द से जल्द करने का प्रयास किया जा रहा है। अमेरा ओपन कास्ट खदान में उत्पन्न भूमि संकट के निराकरण का भी हर संभव प्रयास जारी है।