जिले के गगनपल्ली पंचायत में फोर्स के भय से ग्रामीणों के पलायन का सिलसिला लगातार जारी है। इस पंचायत से पिछले एक साल में 52 परिवार पलायन कर चुके हैं। इन ग्रामीणों ने पड़ोसी राज्यों आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में शरण ली है। सलवा जुड़ूम के दौर में जिले से आदिवासियों का पलायन दर्ज किया गया था। दूसरे राज्यों में पलायन करने वाले आदिवासियों की घर वापसी के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्रीय अजजा आयोग ने भी इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। ऐसे में अब आदिवासियों के पलायन की खबर से पुलिस महकमे में हड़कम्प मचा हुआ है। हालांकि पुलिस कह रही है कि मामले की जांच कराई जाएगी और फोर्स ने अगर ग्रामीणों को परेशान किया है तो समुचित कार्रवाई भी होगी।
बासागुड़ा थाना क्षेत्र के गगनपल्ली गांव में गश्त के दौरान कोबरा बटालियन के जवानों द्वारा दो ग्रामीणों की पिटाई की शिकायत की जांच करने मंगलवार को इस गांव में पहुंची थी।। मारपीट में घायल पापैया कडती और मड़कम वेंकट ने बताया कि जवानों ने पहले पूरे गांव को घेरा उसके बाद उनसे नक्सलियों का पता पूछने के लिए उन्हें निर्वस्त्र कर बेरहमी से पीटा। बीच बचाव में आई महिलाओं को भी करीब 2 घंटे तक तपती धूप में खड़ा किया गया था। ग्रामीणों ने आवापल्ली थाना में आवेदन भी दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने मेडिकल जांच के नाम पर एक्सरे कराकर खानापूर्ति कर दी। ग्रामीण लक्ष्मैया, दारा सोरी, काका चंद्रेया, तुलसी शीला, मीडियम भीमा और पुनेम बंडी का आरोप है कि विगत कई वर्षों से सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों के नाम पर यहां के ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं। गांव से 11 बेकसूर ग्रामीणों को नक्सलियों के सहयोगी बता कर जेल भेज दिया गया है। फोर्स के भय से पिछले एक वर्ष में गांव के बंजारा, राउत और कमूड जाति के 52 परिवारों ने आंध्र और तेलंगाना पलायन किया है। पलायन का यह सिलसिला सन 2017 से ही चल रहा है। गांव के युवक रविन्द्र शीला बताते हैं कि उनका एक सड़क हादसे के बाद ऑपरेशन किया गया था। गश्त पर आने वाले जवान मुठभेड़ में गोली लगना बताकर बार-बार परेशान करते हैं। इलाके में जब भी नक्सली वारदात या मुठभेड़ होती है फोर्स उन घटनाओं को गांव से जोड़ देती है।
करीब 213 मकानों के गगनपल्ली पंचायत में पांच छोटे गांव कॉन्जेड, नरसापुर, टेकुलगुड़ा, मूरकीपारा और गगन पल्ली शामिल है। विकास से कोसों दूर गगनपल्ली में मूंगफली की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है परंतु इस वर्ष फोर्स और पुलिस के डर के कारण किसान खेती भी नहीं कर पाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फोर्स अपना काम करे पर गश्त के दौरान बेकसूर ग्रामीणों को बेवजह परेशान ना करे। ग्रामीण इस मामले में जल्द ही जिला प्रशासन से गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
मामले की तस्दीक करवाई जाएगी और समुचित कार्रवाई होगी। अगर संभव हुआ तो उन लोगों को वापस गांव में लाने का प्रयास भी किया जाएगा जो गांव छोड़कर तेलंगाना पलायन कर गए हैं।