बीजापुर जिले में सलवा जुडूम के दौरान नक्सलियों ने झोपड़ीनुमा स्कूल तबाह कर दिया था. अब फिर से इस स्कूल का उद्घाटन किया जा रहा है. स्कूल को फिर से शुरू करने का बीड़ा उठाया शिक्षा विभाग और गांव वालों ने. स्कूल के उदघाटन का ये दिन पदमूर के लोगों के लिए ना सिर्फ खास था बल्कि ये यादगार भी बन गया. 14 सालों बाद इस प्राइमरी स्कूल का उद्घाटन हुआ.
नक्सलियों ने तबाह कर दिया था स्कूल
बता दें कि साल 2005-06 के दरम्यान दक्षिण बस्तर में जब माओवादियों के खिलाफ विद्रोह की लपटें उठी थी, तब नक्सलियों ने बीजापुर जिले के पदमूर गांव को अपना निशाना बनाया था. माओवादियों के भय से ना सिर्फ पदमूर गांव वीरान हो गया था बल्कि नक्सलियों का कहर स्कूल पर भी बरपा था. पदमूर में सन् 1964 से जो स्कूल संचालित था, जुडूम के दौर में नक्सलियों ने उसे ढहा दिया था. नक्सलियों के भय से इस दौरान ये गांव भी खाली हो गया था. लोग नदी पार कर चेरपाल, गंगालूर राहत शिविर में पनाह लेने मजबूर थे.
नक्सली दखल के बावजूद शुरू हुआ स्कूल
हालांकि गांव से बेदखली जैसी जिंदगी जब गांव वालों को रास नहीं आई तो गांव लौटने का निर्णय हुआ. वर्ष 2012 में ये गांव फिर से आबाद हुआ. पदमूर में स्कूल दोबारा शुरू करने का निर्णय प्रशासन ने लिया. इलाके में माओवाद की तगड़ी दखल के बावजूद शिक्षा विभाग ने भी स्कूल दोबारा शुरू करने की ठान ली. आखिरकार ग्रामीणों के सहयोग से शिक्षा विभाग भी स्कूल खोलने में सफल रहा. जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर पदमूर गांव में जश्न सा माहौल था. स्कूल दोबारा शुरू होने की खुशी में ग्रामीण महुए के उस पेड़ के नीचे एकत्र थे, जहां समीप ही झोपड़ी हाल ही में तैयार की गई थी, जिसमें स्कूल संचालन का फैसला खुद ग्रामीणों ने ले रखा था.
आसान नहीं था ये सपना
हालांकि गांव वालों के लिए स्कूल का ये सपना इतनी आसानी से साकार नहीं होने वाला था. बच्चों के लिए किताब, स्लेट, पेंसिल आदि पठन सामग्री की व्यवस्था शिक्षा विभाग ने की. खंड शिक्षा अधिकारी मोहम्मद जाकिर खान, षिक्षक राजेश सिंह, किरण कांवड़े, श्रीनिवास, रीतेश सेमल और अन्य शिक्षक किताब, स्लेट व अन्य सामग्री को कंधों पर लादकर पैदल ही नदी को पार कर किसी तरह पदमूर पहुंचे. शिक्षकों के पहुंचते ही ग्रामीणों के चेहरों पर खुशी देखते ही बन रही थी.
महुए के एक पेड़ के पास घासफूस की छत और बांस-बल्लियों से झोपड़ीनुमा स्कूल तैयार था. साज-सज्जा के लिए ग्रामीणो ने अपनी तरफ से झोपड़ी को बलून से सजा रखा था. ग्राम प्रमुख गोंदे सोमू और गंगालूर के सरपंच मंगल राणा ने फीता काटकर 14 साल बाद पदमूर स्कूल का उद्घाटन किया. ग्रामीणों के लिए ये पव वाकई स्मरणीय हो गया. 14 साल बाद दोबारा शुरू हुए स्कूल में बतौर शिक्षक शिवचरण पाण्डेय भी मौजूद थे.
बच्चों का भी किया गया स्वागत
उद्घाटन के बाद 52 नवप्रवेशी बच्चों का रोली टीका लगाकर स्वागत करने के बाद उन्हे किताबें, स्लेट आदि पाठ्यसामग्री भेंट की गई. वही 52 बच्चों ने पहली बार यहां मध्यान्ह भोजन भी किया. इसके अलावा शिक्षा विभाग की ओर से बच्चों को खेल सामग्री भी वितरित की गई. स्कूल गणवेश पहने बच्चों में आज स्कूल जाने को लेकर उत्साह देखते ही बना. वही गांव की महिलाओं ने भी जागरूकता का परिचय देते हुए बच्चों को गोद में लेकर शाला दाखिल कराने पहुंची थी.
अधिकारी ने कही ये बात
बीईओ मोहम्मद जाकिर खान का कहना है कि इस स्कूल के खुलने से उन तमाम गांवों तक एक सकारात्मक संदेश पहुंच पाएगा, ताकि जिन गांवों में आज भी शालाएं बंद हैं, उन्हें फिर से शुरू करने ग्रामीण निश्चित ही आगे आएंगे.