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जानिए असम में हर साल क्यों आती है बाढ़, और क्या है बचाव के उपाय

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हर साल की तरह असम को एक बार फिर बाढ़ की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। राज्य के लगभग सभी 33 जिलों के 57 लाख लोग बाढ़ से प्रभवित हैं। जिसमें

अबतक सैकडों जानवरों के साथ 47 लोगों की जान भी चली गई है। एेसा नहीं है कि ये पहली दफा एेसी बाढ़ आई है। इससे पहले भी तीन चार दफा बाढ़ आ चुकी है।

असम में 2004 में सबसे ज्यादा तबाही करने वाली बाढ़ आई थी जिसमें 1.24

करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। वैसे असम में इससे पहले भी बाढ़

आ चुकी है जिसमें 1988, 1998 और 2012 प्रमुख वर्ष हैं।

क्यों आती है बाढ़अापको बता दें कि ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थल तिब्बत में है और उसका फैलाव 580,000 वर्ग किमी में है। ये नदी चार देशों में से होकर असम में आती है। जब ये असम में आती है तो अपने साथ बहुत सारे सिल्ट एवं गाद को साथ लेकर आती है। जिससे असम में भु-कटाव व बाढ़ को जन्म देती है। प्राकृतिक कारणों के अलावा मानवीय कारणों से भी बाढ़ आती है। जैसे की जनसंख्या वृद्धि, पेड़ कटाव, बाढ़ क्षेत्रों में भी निवास करना, नदी के क्षेत्रों में आबादी के बढ़ने के कारण नदियां सिकुड़ती चली गई। जिससे नदी के प्रवाह को कम कर दिया, जिसके कारण बाढ़ जैसी विभीषिका को जन्म दिया।

बचाव के उपाय

बाढ़ से बचने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार को एक साथ प्रयास करके बांध का निर्माण करा सकती है। लेकिन इस बांध के समीप वाले राज्य एेसी योजनाओं का विरोध करती है। क्योंकि उनके अतिरिक्त पानी उनके क्षेत्रों में भर जाता है जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अतः सरकारों को उन प्रभावित राज्यों के लोगों के लिए भी उनके परेशानियों को दूर करने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए जिससे उनके जरूरतों को पूरा किया जा सके। सरकार को बांध के कारण विस्थापित लोगों को पूनर्वास करने की विशेष व्यवस्था करनी चाहिए।

दूसरा उपाय यह है कि सरकार को नदी को गहरी करने के लिए उसकी खुदाई करने की जरूरतों को बल देना चाहिए जिससे नदी ज्यादा से ज्यादा पानी को अपने अंदर रख सके। जिससे वर्षा से आए अतिरिक्त पानी नदियों में समाहित हो जाए और पानी जमीनी सतह पर जमा न हो पाए।

अतिसंवेदनशिल क्षेत्रो को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही एेसा नियम रहना चाहिए कि इस क्षेत्र के अंदर कोई प्रवास नहीं करेगा। जैसे की अमेरीका ने अपने देश में किया हुआ है। वहां के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में कोई व्यक्ति निवास नहीं करता है। इसलिए बाढ़ जब आती भी है तो कोई जान-माल की क्षति नहीं पहुंचती है।