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नौ की मौत के बाद लक्ष्मी ने इस गांव को नक्सली होने से बचाया था

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छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित इलाके में देश के संविधान, सरकार और कानून पर भरोसे की अनोखी मिसाल पेश की है. जी हां गांव में रहने वाली लक्ष्मी कारम जिसने गोलीबारी में अपने देवर, ससुर को खोया था, उसने हौसला नहीं खोया आक्रोशित ग्रामीणों को समझाया था कि हमारे लोगों की मौत हम नहीं भुला पाएंगे और पूरे गांव वालों को नक्सली बनने से रोक लिया. कारम लक्ष्मी को विश्वास था कि नौ लोगों की मौत के बाद सरकार और जिम्मेदार भी चैन से नहीं बैठ पाएंगे. पूरे गांव को न्याय मिलने का दिलाया भरोसा

गांव के लोगों के मुताबिक लक्ष्मी कारम को विश्वास है कि उसे और पूरे गांव वालों को न्याय मिलेगा और आज गांव के लोग सरकार पर भरोसा कर रहे हैं. बता दें कि 2013 में जब एड़समेटा गांव के नौ लोग जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल थे कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे तब पूरा गांव अपनों को खोने के गम में आक्रोशित था और बदले की भावन को लेकर सरकार के खिलाफ था, तब लक्ष्मी ने अपने लोगों के खोने के बावजूद लोगों को बदल लेने के बजाए समझाया कि उन्हें सरकार की ओर से जरूर इंसाफ मिलेगा.

लक्ष्मी कारम ने बताया कि उस वक्त गांव के लोग गांव वाले गुस्से में थे कुछ परंपरागत हथियार भी उठाए और बदला लेने की बात कहने लगे, लेकिन लक्ष्मी कारम को सरकार से इंसाफ का पूरा भरोसा था. साथ ही लक्ष्मी कारम की बात से लोग भी सहमत हो गए. घटना के कुछ दिन बाद मामले की जांच शुरू हुई, लेकिन अभी भी सीबीआई मामले की जांच में जुटी है. लक्ष्मी कारम ने कहा कि हम नक्सलियों से साथ कभी भी नहीं थे और न ही कभी उनका भविष्य में साथ देंगे, पर अपनों की मौतों के दोषियों को सजा जरूर दिलाएंगे.