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काला चावल: पौष्टिकता के साथ ही मुनाफे की खेती

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परंपरागत खेती के साथ ही जनपद के किसान कृषि विविधिकरण को भी अपना रहे हैं। इसके चलते जिले के गांव कादरगढ़ निवासी किसान एवं सेवानिवृत्त अध्यापक सतपाल कौशल अपनी ब्लैक राइस (चाकहाओ) की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। गत वर्ष उन्होंने जहां दो एकड़ में काला चावल पैदा किया था, वहीं इस बार उनके यहां से छह अन्य किसान भी बीज लेकर पौध लगाने की तैयारी में जुटे हैं। क ाला चावल पौषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके चलते बाजार में इसका भाव अन्य चावल के तुलना में काफी अधिक मिलता है।
खेती से अधिक लाभ कमाने की जद्दोजहद में जुटे किसानों के लिए जनपद के गांव कादरगढ़ के किसान सतपाल कौशल प्रेरणा स्रोत्र हो रहे हैं। उन्होंने जनपद में पहली बार ब्लैक राइस यानि काला चावल की खेती कर मिसाल कायम की है। उन्होंने दो एकड़ में इसकी खेती कर 18 क्विंटल धान पैदा किया। जिसे कुटवाकर वे बाजार में चावल बेच रहे हैं। उन्होंने गत वर्ष पहली बार इसकी खेती की और इस बार उनके यहां से बीज लेकर प्रदेश एवं हरियाणा के छह किसान काला धान लगा रहे हैं। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय कार्यालय के कृषि वैज्ञानिक से काले धान का आठ किलो बीज मंगवाया था। किसान सतपाल कौशल ने बताया कि काले धान को उन्होंने कुटवाकर चावल के रूप में संग्रहित किया है। अधिक पौष्टिक और एंटी ऑक्सीडेंट होने के चलते अब वे इसे 250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बाजार में बेच रहे हैं। 
पौष्टिकता के साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट भी
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. आईके कुशवाहा ने बताया कि ब्लैक राइस काले रंग का चावल होता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा सर्वाधिक मानी जाती है। इसमें कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने का भी गुण होता है। इसमें विटामिन ई, बी के साथ ही कैल्सियम, मैगनीशियम, आयरन, और जिंक की मात्रा भी अधिक होती है। कार्बोहाईड्रेड की मात्रा कम होने से ब्लैक राइस शुगर रोगियों के लिए भी लाभकारी होता है। अधिक पौष्टिकता के चलते कुपोषित लोगों के लिए काला चावल फायदेमंद है। इसके अलावा यह चावल हाई ब्लड प्रेशर, हाई कॉलेस्ट्राल, आर्थराइटिस, एलर्जी मैं भी लाभकारी है।
कादरगढ़ गांव के किसान सतपाल ने जनपद में पहली बार काले धान की खेती की है। जो पूरी तरह से लाभकारी साबित हुई है। मणिपुर सरकार के कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चाकहाओ यानि काला धान किसानों से लेकर व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए लाभ का सौदा है। पूरी तरह से जैविक रूप से तैयार होने वाला इस चावल के प्रति लोगों में क्रेज बढ़ रहा है। उनके यहां से बीज लेकर छह किसान इसकी रोपाई की तैयारी में हैं।