रिश्ते अगर सच्चे हों तो उनमें दूरियों के फासले ज्यादा मायने नहीं रखते। इसी तरह है एक अनोखी कहानी जिसमें एक बेटी अपने मां को खोजते हुए बेल्जियम से रांची आ जाती है। दरअसल यह 42 वर्षों के सफर की एक दास्तान है जो उन्हें यहां तक खींच लाई। बेल्जियम निवासी चिराग शूटाइजर अपनी मां को खोजते हुए रांची आईं हैं। चिराग साल 1977 में रांची में पैदा हुई थीं। जन्म के बाद उनकी मां ने उन्हें अनाथालय में दे दिया था।
बाद में अनाथालय ने चिराग को कोलकाता भेज दिया। एक साल बाद उन्हें वहां से बेल्जियम की एक दंपत्ती ने गोद ले लिया। चिराग के अनुसार उन्हें पता है कि उन्हें जन्मदेने वाली मां उस वक्त लालपुर के पास रहती थी और वे एक कॉलेज में पढ़ती थीं। चिराग ने कहा कि उन्हें मालूम चला है कि उनकी मां महुदार में हैं और उनका विवाह किसी ईसाई परिवार में हुआ था।
हालांकि चिराग का तलाश अभी अधूरा है। उनकी मां अभी भी उनसे नहीं मिली हैं। उन्हें तलाश है एक ऐसे इंसान की जो उन्हें उनकी मां से मिलवा सके। उन्होंने इस मामले में कई अधिकारियों से मिल चुकी हैं। हालांकि अभी तक कोई सफलता नहीं मिल सकी है। चिराग कहती हैं कि उन्हें जिस मां ने जन्म दिया वे उनसे मिलना चाहती हैं। मैं उनसे मिलकर कुछ सवालों का जवाब पूछना चाहती हूं। कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी।