जिस राज्य में रूक- रूक कर भूख से मौत की खबरें सामने आती हैं, उसी राज्य में सरकारी अनाज दीमक और कीड़ों का निवाला बन जाता है. सरकारी गोदाम में रखे जिस अनाज से गरीबों का पेट भरा जा सकता था, वह व्यवस्था की भेंट चढ़ गया. हम बात कर रहे हैं रांची के कडरू स्थित एफसीआई गोदाम की. यहां पर रखे हजारों क्विंटल दाल, चीनी, नमक और चावल इसलिए बर्बाद हो गये क्योंकि व्यवस्था को यही मंजूर था.
मंत्री को दुनिया की चिंता, विभाग की नहीं
खाद्य आपूर्ति विभाग सूबे के सबसे गंभीर मंत्री सरयू राय का है. सरयू राय का शगल है कि वह पूरे विश्व की चिंता करते हैं, सिर्फ अपने विभाग को पटरी पर लाने में असर्मथ हैं. गोदाम में रखा अनाज इस कदर बर्बाद हो गया कि इसे खाने से मवेशी भी इंकार कर दे. इस मुद्दे पर हो-हंगामा होने पर मंत्री सरयू राय बुधवार को कडरू गोदाम पहुंचे. जो कुछ हुआ और जो कुछ मंत्री जी ने कहा वह अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं.
सड़े हुए दाल शिक्षा विभाग के
मंत्री जी ने कहा कि जो दाल सड़ गये, वह शिक्षा विभाग का था. शिक्षा विभाग ने निजी एजेंसी से दाल मंगवा तो लिया, लेकिन उठाव नहीं किया. इस वजह से दाल सड़ गये. हालांकि उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि चीनी, चावल और नमक क्यों बर्बाद हो गये.
दरअसल यह व्यवस्था का दोष है. यह अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है. जिसके चलते हजारों क्विंटल अनाज सड़ गये.
सड़ गई सैकड़ों क्विंटल चीनी
बर्बाद हुए अनाज
अरहर दाल- 1009 क्विंटल
मसूर दाल- 1009 क्विंटल
चीनी- 5000 क्विंटल
अन्य अनाज- 325 क्विंटल
सड़ा अनाज देखकर नहीं लिया चार्ज
अनाज बर्बाद होने की एक वजह हालिया विवाद भी है. जानकारी के अनुसार रविभूषण नामक कर्मचारी जो कि इस गोदाम इंचार्ज था, 31 मई को रिटायर हो गया. उसके बदले राजस्व कर्मचारी विजय उरांव को गोदाम इंचार्ज बनाया गया. लेकिन चार्ज लेने से पहले विजय उरांव को जानकारी मिली कि गोदाम में रखा अनाज बर्बाद हो चुका है. लिहाजा उसने चार्ज लेने से इंकार कर दिया. जाहिर है डेढ़ महीने तक गोदाम का ताला तक नहीं खोला गया. और बारिश की वजह से बर्बाद हो रहे अनाज की किसी ने सुध नहीं ली.
विजय उरांव कहते हैं कि हम अपनी नौकरी दांव पर क्यों लगाते. सड़े हुए अनाज का चार्ज हम क्यों लें. इस सरकारी गोदाम का ये हाल है कि चारों तरफ चूहों ने बसेरा डाल रखा है. हल्की बारिश में भी गोदाम में कई जगह से चुने लगता है. कुल मिलाकर इतना समझें कि व्यवस्था ने गरीबों का निवाला बर्बादी की भेंट चढ़ा दिया.