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भोरमदेव मंदिर का समकालीन होने के बाद भी नहीं हासिल कर सका उसकी जैसी ख्याति, न जाने किसका लगा है श्राप.

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कवर्धा जिले में ऐसे कई स्थान है, जो सदियों पुराना राज खोल सकता हैं. लेकिन लेकिन पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते पुरावशेष जहां-तहां बिखरे पड़े हैं. इन पुरातात्विक स्थलों के समीप रहने वाले ग्रामीणों की माने तो यहां अधिकारी व पुरातत्व विभाग के लोग को पहुंचते हैं, लेकिन आगे की कार्रवाई नहीं करते. अगर यहां पर भी उत्खनन कर शोध किया जाता है तो छत्तीसगढ़ का इतिहास बदल सकता है.

कवर्धा जिले में ऐसा ही एक पुरातात्विक स्थल वनांचल गांव चिल्फी से पांच किमी दूर गांव बेंदा में स्थित है. बेंदा में स्थित 11 वीं शताब्दी पुराना शिव मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो चुका है. जंगल के अंदर होने के कारण ज्यादातर लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं चलता. वहीं पुरातत्व विभाग की लापरवाही के कारण यहां की ज्यादातर मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं. मंदिर के जीर्ण-शीर्ण अवशेष देखकर लगता है कि यह भी भोरमदेव मंदिर का समकालीन मंदिर होगा.

गुम हो गई गणेश, लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा

तीन से चाल साल पहले तक यहां शिव प्रतिमाओं के अलावा गणेश, लक्ष्मी नारायण की भी प्रतिमा बिखरी देखी जा सकती थी, लेकिन आज यहां पर केवल मंदिर के अवशेष ही हैं. पुरावशेषों में गणेश ही एक ही प्रतिमा है, जिसे पास के गांव वालों ने संरक्षित कर पूजा -अर्चना करते हैं. इसके अलावा एक जलहरी व शिवलिंग भी है. मंदिर के अवशेष व बनावट देकर लगता है कि यह भी 11 वी शताब्दी का होगा. मंदिर की शैली पूरी तरह से नागवंशी राजाओं द्वारा निर्मित मंदिर की ही तरह है.

मानव बसाहट के साथ जुड़ा है जिले का इतिहास

इसके पहले पुरातत्व विभाग ने सिली पचराही में उत्खनन किया गया था, जहां 16 करोड़ वर्ष पुराने जीवाष्म से लेकर मुगलकालीन सोने के सिक्कें मिले थे. इसके अलावा आदिमानव के औजार व घरेलू उपयोग के सामान मिले थे. इससे पता चला है कि जिले का इतिहास आदिमानव काल से भी पुराना है. भोरमदेव, पचराही और बेंदा के मंदिरों की बनावट को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि तीनों का इतिहास एक-दूसरे से जुड़ा होगा.

पुरातत्व विभाग से की जाएगी चर्चा

कबीरधाम जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने बेंदा सहित अऩ्य पुरातात्विक महत्व के स्थानों की अनदेखी पर कहा कि जिले में धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से अनेक पुरातत्व स्थल हैं. इस संबंध में पुरातत्व विभाग से बात किया जाएगा कि ऐसे इन स्थलों की देख-रेख की जाए और नए स्थलों पर उत्खनन किया जाए.