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सजा नहीं दिलवा पाने से हौसले बुलंद,तस्कर बेखौफ कर रहे वन्यजीवों का शिकार,साइंटिफिक एविडेंस कलेक्ट करने में फिसड्डी

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संरक्षित वन क्षेत्र में एक दशक के भीतर 16 बाघ और 52 तेंदुआ की खाल जब्त की गई हैं। वन विभाग के अधिकारी किसी भी मामले में आरोपियों को सजा नहीं दिलवा पाए। इस वजह से प्रदेश में वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। जानकारों की मानें, तो वन विभाग के अधिकारियों की उदासनीता के कारण अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं।

वन विभाग के अधिकारियों ने जिन दो लोगों को बाघ की खाल के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया है, उन आरोपियों तक को वन विभाग के अधिकारी सजा दिलाने में कामयब नहीं हो पाए। इसी तरह बाघों के शिकार के कई मामलों की जांच ठंडे बस्ते में चली गई है।राजनांदगांव, छुरिया में ग्रामीणों द्वारा वर्ष 2012-13 में एक बाघिन को मारने की घटना हुई थी। इस मामले में दोषियों को सजा दिलाने के बड़े-बड़े दावे वन विभाग के अधिकारियों ने किए थे, साथ ही वन अफसरों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे। इस मामले के दोषी अब तक खुले में घूम रहे हैं। साथ ही अफसरों के खिलाफ क्या जांच हुई, यह ठंडे बस्ते में चला गया।

खुले में घूम रहे अपराधी

सीतानदी उदंती टाइगर रिजर्व में 14 फरवरी को दो आरोपी मेघनाथ और कंवल सिंह नेताम को वन विभाग के अधिकारियों ने बाघ की खाल के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो से मामले की जांच करा कर वन्यजीव के अंगों की तस्करी करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ करने के दावे किए थे। मामले की जांच तो दूर, बाघ की खाल के साथ गिरफ्तार आरोपियों को महज चंद दिनों के भीतर जमानत मिल गई, जबकि दोनों बाघ की खाल के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किए गए थे।

बाघविहीन हो गए वन

सीतनदी उदंती को वर्ष 2009 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। उस समय इस क्षेत्र में 7 बाघ-बाघिन रह रहे थे। शेड्यूल-1 के यह वन्यजीव छत्तीसगढ़ और ओडिशा में विचरण करते थे। इस टाइगर रिजर्व से सात वर्षों के भीतर पांच बाघ अचानक गायब हो गए, वह ओडिशा में भी नहीं हैं। बाघ-बाघिन के जोड़ों में बाघिन को तस्करों ने मार दिया। इस लिहाज से वहां अब केवल एक बाघ रह गया है। यही हाल अचानकमार टाइगर रिजर्व का है, वन अफसर वहां 28 बाघ होने का दावा तो करते हैं, लेकिन जानकारों की मानें, तो अचानकमार टाइगर रिजर्व भी बाघविहीन जंगल हो गया है।

साइंटिफिक जांच का अभाव

जानकारों की मानें, तो वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो साइंटिफिक एविडेंस कलेक्ट नहीं कर पाते, इसी वजह से तस्कर आसानी से बरी हो जाते हैं। इसके साथ वन विभाग के पास राज्य के अलावा अंतर्राज्यीय वन्यजीवों के अंगों की तस्करी करने वालों का डेटा नहीं है, इस वजह से तस्कर यहां आसानी से प्रवेश कर वन्यजीवों के शिकार की घटना को अंजाम देकर आसानी से भाग जाते हैं।

शिकार रोकने रणनीति बनाई जाएगी

वन्यजीवों के शिकार की घटना को रोकने सभी वनमंडल के वन अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। साथ ही 28 सितंबर को एक बैठक होगी, जिसमें वन्यजीवों का शिकार रोकने रणनीति बनाई जाएगी।

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