मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सुकमा के बारसूर की आमसभा में एक बड़ी घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर से लेकर सरगुजा तक आदिवासियों पर चल रहे 20 हजार पुलिस केस खत्म किए जाएंगे। उन्होंने यह घोषणा सुकमा के बारसूर में की और कहा प्रदेश में आदिवासियों पर कुछ पुलिस केस अनावश्यक रूप से चलाए जा रहे हैं, ये बहुत ही छोटी धाराओं के केस हैं। ऐसे सभी मुकदमों को राज्य सरकार वापस लेगी। माना जा रहा है कि इन 20000 केस को वापिस लेने से हजारों आदिवासियों को राहत मिलेगी, जिनके नाम ये नामजद हैं।
इसके पहले छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने सैंकडों आदिवासियों को नक्सली बताकर जेलों में बंद कर रखा है। इन आदिवासियों की रिहाई के लिए कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संस्था बनाकर उन्हें जेल से मुक्ति दिलाने की मुहिम भी छेड़ी हुई है। ऐसे में मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का सुकमा की आमसभा में ये एलान करना कि आदिवासियों पर कायम 20 हजार केस बंद किए जाएंगे, एक अच्छा संकेत माना जा सकता है।
हालांकि इसे नंवबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। 32 फीसदी आदिवासी आबादी वाले प्रदेश में 29 विधानसभा सीट आदिवासी समुदाय के लिए रिजर्व हैं। 90 विधानसभा सीट वाले प्रदेश में कुल 29 सीटों को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया है। ये सीटें सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाती हैं। यही कारण है सरकार ने इनकी नाराजगी को देखते हुए यह बड़ा कदम उठाने की घोषणा की है।
हम आपको बता दें कि बारसूर एक नक्सल प्रभावित जिला है। पिछले दिनों बारसूर उस समय चर्चा में आया था, जब यहां स्थित दसवीं शताब्दी के नागवंशी काल की गणेश प्रतिमा को तोड़कर खाई में फेंक दिया गया था। यह गणेश प्रतिमा बारसूर के ढोलकाल की पहाडी में 3000 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थापित है। बाद में खंडित प्रतिमा को दोबारा स्थापित किया गया।