बस्तर संभाग के सर्वाधिक नक्सली आतंक से ग्रस्त सुकमा और बीजापुर जिलों में शिक्षा का स्तर अभी भी पिछड़ा हुआ है और यहां पर अध्ययन कर आगे की पढ़ाई करने के लिए यहां के विद्यार्थी अपनी ललक व लगन से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे ही एक उदाहरण सामने आया है कि सुकमा जिले के अंतगर्त संवेदनशील कहे जाने वाले ग्राम कड़ावाल के रहने वाले एक आदिवासी छात्र हरिश कोडियामी को एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए आवश्यक इस वर्ष की नीट परिक्षा में 80 वीं रेंक के साथ सफलता प्राप्त हुई और उसका प्रवेश रायपुर स्थित पं.जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में हो गया है।
इस संबंध में उक्त छात्र ने बताया कि उसने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बालक आश्रम गुट्टागुड़ा में प्राप्त की और आठवीं से दसवीं तक नवोदय विद्यालय सुकमा में प्राप्त की। इस छात्र ने बताया कि उसे नवोदय विद्यालय में अंग्रेजी विषयों के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ी फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और अपनी लगन के दम पर वह असुविधाओं के बाद भी अध्ययन करता रहा यहीं मेहनत आज उसे बिना कोचिंग कराये सफलता प्रदान कर रही है। उसने बताया कि छात्रों को मेहनत कर अपने भविष्य को संवारने के लिए आगे आना चाहिए और सुविधाओं की कमी का रोना नहीं रोना चाहिए। इसी प्रकार एक अन्य विद्यार्थी माया कश्यप के साथ घटित हुआ जो आज कल अध्ययन कर रहा है।