छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में प्रशासनिक दावों पर सवाल करती तस्वीर सामने आई है. स्वास्थ्य विभाग की उदासनीता और बेपरवाही के कारण एक बीमार बुजुर्ग को 13 किलोमीटर दूर खटिया पर लादकर पैदल लाना पड़ा, हैरानी की बात ये है कि इसके बाद भी बुजुर्ग को इलाज नहीं मिला. क्योंकि परिजनों को अस्पताल में ताला लटका मिला. वहां इलाज के लिए कोई भी जिम्मेदार मौजूद नहीं था. बीते पांच दिन में बीजापुर में स्वास्थ्य विभाग की बेपरवाही का ये तीसरा मामला है.
बीजापुर में बीते 24 अगस्त को प्रदेश के वन मंत्री महेश गागड़ा के विधानसभा क्षेत्र में खाट में ढोकर शव ले जाने का मामला सामने अया था. क्योंकि मृतक के परिजनों को शव वाहन उपलब्ध नहीं हो सका था. मर्कापाल की वृद्ध महिला रचना मरकाम की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. इसके बाद एक अन्य घटना में रविवार सोमवार की दरमियानी रात करीब 3 बजे एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम के साथ मेडिकल कॉलेज जगदलपुर रेफर किया गया. एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कमी के चलते बीजापुर से जगदलपुर रेफर की गई बच्ची की रास्ते में ही मौत हो गई थी. बच्ची माटवाड़ा आश्रम में कक्षा पहली की छात्रा बुलबुल कुड़ियाम थी.
दरअसल, उसूर ब्लॉक के टेकमेटला गांव के एक बुजुर्ग ग्रामीण हेमला हड़मा (उम्र-57 वर्ष) के शरीर का बांयां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था. परिजनों द्वारा बीमार बुजुर्ग को इलाज़ के लिए टेकमेटला गांव से आवापल्ली लाया गया. 13 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर किसी तरह आवापल्ली के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे बुजुर्ग को इलाज़ नही मिल पाया. अस्पताल में ताला लटका देख परिजनों ने बुजुर्ग का इलाज़ करवाये बिना उसी कांवड़ में ढोकर वापस अपने गांव लौट गए.
आवापल्ली स्वास्थ्य केन्द्र में ताला लटके होने के मामले में बीजापुर सीएमएचओ डॉ. बीआर पुजारी का कहना था कि उन्हें अभी इस मामले की जानकारी नहीं है. सीएमएचओ डॉ. पुजारी ने कहा कि मामले में जानकारी लेकर ही कुछ कह सकेंगे. यदि किसी ने लापरवाही की है तो उनपर नियमानुसार कार्रवाई भी की जाएगी.