Home News मुआवजे के लिए लड़ता रहा 4 साल तक, मिली जीत

मुआवजे के लिए लड़ता रहा 4 साल तक, मिली जीत

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जगदलपुर। डिलमिली निवासी पीडि़त गुड्डू कुहयामी की चार साल की लड़ाई आखिरकार रंग लाई। पीएमओं में शिकायत के बाद सीएसपी द्वारा बनाई गई कमेटी ने बैंगलोर में मामले की विस्तार से तफ्तीश करते हुए पीडि़त पिता गुड्डू कूहयामी और मां मासे कुहयामी को राहत दिलाते हुए उनके बेटे की मौत की मुआवजा राशि साढ़े छह लाख देने पर कंपनी ने हामी भर दी है। दो दिन तक जांच करने के बाद शनिवार को गृहग्राम पहुंचे पीडि़तों ने पात्रिका से चर्चा करते हुए बताया कि टीम के प्रयास से आखिरकार उन्हें राहत मिल गई अब कंपनी उन्हें एक महीने के अंदर मुआवजे की राशि देने की बात कही है।
गौरतलब है कि इस टीम में लेबर इंस्पेक्टर यशपाल ठाकुर व कोडेनार थाना के कांस्टेबल रामेश्वर कश्यप, पीडि़त गुड्डू कुहयामी व मासे कुहयामी समेत गांव के अर्जुन कर्मा मंगलवार को बैंगलोर के लिए रवाना हुए थे। शुक्रवार की सुबह कंपनी प्रबंधन और इंश्योरेंस कंपनी से पूछताछ करते हुए टीम ने यह पता लगाया कि पीडि़त गुड्डू कुहयामी के बेटे की मौत के बाद मिलने वाले बीमा के पैसे में कोई फर्जीवाड़ा तो नहीं कर रहे हैं। मालूम हो कि लेबर इंस्पेक्टर के नेतृत्व में कमेटी तैयार की गई थी। इसमें पुलिस विभाग से भी एक कांस्टेबल को नियुक्त किया गया है। यह टीम मंगलवार को रवाना हुई और बैंगलोर गुरुवार को बैंगलोर पहुंची।
मुख्य सचिव ने दिया था जांच करने के आदेश
मामले की शिकायत पीडि़तों ने पीएमओ की साइट में की थी। शिकायत के एक एक माह के भीतर ही एक्शन लेते हुए राज्य सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने पीडि़त के मामले को लेकर बात की। उन्होंने 24 जुन को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सीएसपी से बात कर मामले के निपटान के लिए समिति बनाने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि इस मामले की प्रगति को लेकर अगले माह फिर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात होगी।
यह है मामला
घर का सबसे बड़ा बेटा आयतु कुहरामी काम करने बैंगलोर गया हुआ था। काम के दौरान उसकी बिल्डिंग से गिरकर मौत हो गई थी। मौत के बाद जब अचानक एक दिन पिता गुड्डू कुहरामी के पास बीमे की राशि के रूप में साढ़े 9 लाख रुपए मिलने का कोर्ट का आर्डर इनके पास आया। तो उनकी तकलीफें कुछ कम हुई थी। लेकिन इसके बाद जब कंपनी कोओर्डिनेटर व वकील के खाली पेपर भेजकर जब उसमें साइन करके भेजने को जब गुड्डू को कहा तो उन्हें शक हुआ। इसके बाद उन्होंने गांव के ही एक जागरूक युवक के पास जाकर इस बारे में बताया और दोनो ने मिलकर पीएमओ की साइट में जाकर शिकायत की।

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