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बस्तर से खदेड़े नेता की कांग्रेस में बोल रही तूती

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रायपुर। पीसीसी दफ्तर में इन दिनों बस्तर खदेड़े गए नेता की तूती बोल रही है। जिला से प्रदेश की राजनीति में पद मिलते ही उक्त नेता ने टेरर दिखाना शुरू कर दिया है। प्रदेश के हर मामले में हस्तक्षेप कर उसे अपने तरीके से हेंडल करने की होड़ के चलते यहां के स्थानीय और पुराने पदाधिकारियों में रोष व्याप्त है। वे उक्त पदाधिकारी के बढ़ते हस्तक्षेप और मनमानी की शिकायत प्रदेश संगठन और हाईकमान को कर चुके है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले बुलंद है। उक्त नेता अपने आगे प्रदेश के किसी भी पदाधिकारी को कुछ भी नहीं समझ रहे है, पूरी तरह मनमानी करते हुए प्रदेश कांगे्रस में असंतोष और नाराजगी को बढ़ाने के काम को अंजाम दे रहे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पैराशूट नेताओं को तवज्जो नहीं देने की बात करते हैं और प्रदेश में उक्त नेता सरीखे पैराशूट नेता अपनी मनमानी चला रहे हैं। शिकायतों के बाद भी उन पर किसी तरह कार्रवाई नहीं होने से लगता है कि एआईसीसी और पीसीसी का उक्त नेता की गतिविधियों को मौन समर्थन है।
जातिवाद की ओर कांग्रेस वरिष्ठ कांग्रेसियों का तो यहां तक कहना है कि कांग्रेस में जातिवाद पूरी तरह हावी हो गया है। आरोप है कि वे एसटीएससी /पिछ़ड़़ावर्ग अन्य उस जाति के सभी प्रकार के नेता को मिलकर काम करने की कांग्रेस पार्टी के लिए जरूरत ही नहीं समझ रहे हैं।
कांग्रेस में बह रही है पूरी तरह उल्टी गंगा
कांग्रेस में इस समय पूरी तरह उल्टी गंगा बह रही है, जिस बात को राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी सैकड़ों बार कह चुके है कि जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर कांग्रेस की विचारधारा वाली राजनीति करें, उसके बाद भी यहां के नेता बाज नहीं आ रहे हैं, वे मेरी मुर्गी के डेढ़ टांग को ही पार्टी पर थोप रहे है।
लोगों को जोडऩे के नाम पर सिर्फ दिखावा
अब तक प्रदेश में बने 64 शक्ति केंद्रों मेंं नजर डाले तो साफ दिखाई दे रहा कि कांग्रेसी नेता शक्ति केंद्रों से लोगों को जोडऩे के नाम पर सिर्फ दिखावा कर रहे है। जबकि अंतिम समय तक हाईकमान ने कहा था कि सभी शक्ति केंद्रों में अधिक से अधिक जिसकी कोई सीमा तय नहीं थी, जोडऩे के लिए कहा था, जिससे हम चुनाव के दौरान वहां जाए तो शक्ति केंद्र प्रमुख से सूची लेकर देख सकते है कि हमारे साथ कितने लोगों का जनसमर्थन जुड़ा है और कितने वोट में तब्दील होंगे। मगर शक्ति केंद्रों की मानीटरिंग करने वालों ने राहुल गांधी के आदेश की परवाह नहीं कर शक्ति केंद्रों को अपने नाते रिश्तेदार-परिवार के हवाले कर लोगों को जोडऩे की वाहवाही कर खुद ही अपनी पीठ थपथपाते रहे है। हाईकमान की नजरों में बने रहने के लिए किसी को भी मिला कर शक्ति केंद्रों की उपयोगिता की कब्र खोद दी। शक्ति केंद्रों में जी-जान लगाकर काम करने वाले नेताओं के अरमानों पर पानी फेर दिया।
टॉप टन शक्ति केंद्रों के प्रमुखों को नहीं मिला सम्मान
दिल्ली जो लोग उनके साथ गए उनमें से ज्यादातर फेलवर शक्ति केंद्र के सदस्य थे, जो 29 वें से शुरू होकर 64 तक खत्म होने वाले सूची में शामिल हैं। उन्हें शक्ति केंद्र प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपते समय कहा गया था कि सबसे बेहतर काम करने वालों को दिल्ली बुलाकर सम्मान किया जाएगा। शक्ति केंद्रों के प्रमुखों का सम्मान तो हुआ पर वे सभी बोगस परिणाम वाले थे, जिन्होंने हजार का आंकड़ा पार नहीं किया वे दिल्ली में वाहवाही लूटकर आ गए और जो मेहनत कर 6-7 हजार से अधिक लोगों को जोड़ा उनको खबर ही नहीं लगी, कि सम्मान होने वाला है और उन्हें दिल्ली बुलाया गया है। वे अपने काम में जुटे रहे और उक्त पदाधिकारी अंदर ही अंदर दूसरी खिचड़ी पकाते रहे।
जॉकेट के साथ खादी का कुर्ता-पजामा भी नहीं पहन पाए
उक्त पदाधिकारी की राजनीतिक षडयंत्र की भनक किसी को भी नहीं हुई, वे इंतजार करते रहे कि दिल्ली से बुलावा आएगा तो नए कपड़े पहन कर जाएंगे, इसलिए जॉकेट के साथ खादी का कुर्ता-पजामा सिलवाने दिया था, वे कपड़े अब वैसे के वैसे ही पड़े हंै। शक्ति केंद्र से लोगों को जोडऩे का जुनून अब जल्द ही ठंडे बस्ते में जाने वाला है। क्योंकि जिसने मेहनत कर लोगों को जोड़ा, वे सम्मान से वंचित हो गए और जिसने विशुद्ध राजनीति की वे दिल्ली का मजा लेकर आ गए। सम्मान समारोह में पहनकर जाने वाले जॉकेट, कुर्ता-पजामा वैसे ही दर्जी के यहां पड़े है। उन्हें पहनने का मौका ही नहीं मिला। कोई दूसरा ही उनकी जगह सम्मान लेकर आ गया।
प्रदेश भर में हो रही फजीहत
उक्त पदाधिकारी के इस फर्जीवाड़े चाल की पूरे प्रदेश में पदाधिकारी और प्रदेश स्तर के नेता निंदा कर रहे है। जिस-जिस शक्ति केंद्र को इस तरह फर्जीवाड़े छलने की खबर लग रही सभी प्रभारी को कोस रहे है। इस बात की चर्चा बस्तर में जमकर हो रही है। वहां चौक-चौराहे में शक्ति केंद्रों के बात करते है, हंसी-मजाक में ही ले रहे हैं। प्रभारी को लगने लगा है कि बस्तर के नेताओं ने मेरा कद्र नहीं किया, अब प्रदेश में पदाधिकारी बनकर मैं उन लोगों से बड़ी लकीर खींच रहा हूं। ज्ञात रहे कि प्रभारी को बस्तर के सभी आदिवासी नेताओं गुटबाजी और जातिवाद फैलाने का और पार्टी को लगातार चुनाव में हराने का आरोप समय-समय पर पिछले 20 सालों से कांग्रेस आलाकमान एवं कांग्रेस के बड़े प्रभारी नेताओं को अवगत कराया जा चुका है। मगर ऐसा नहीं हैं, राजनीति में क्या कहीं भी किसी का एक सा दिन नहीं रहता, अच्छे-बुरे दिनों का चक्र चलता ही रहता है। इसलिए वक्त के साथ नहीं सुधरे तो वक्त हमें सुधार देगा यही प्रकृति का न्याय है।

हाल ही में ताजा मामला सामने आया है जिसमें शक्ति केंद्रों में सक्रिय होकर सबसे अधिक सदस्य जोडऩे वाले 10 शक्ति केंद्रों के प्रमुख को राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलाना था। टॉप टेन शक्ति केंद्रों में 1-सुनील माहेश्वरी 9369, 2- पिनल उपावेजा बिलासपुर 6333, 3-आसिफ मेनन रायपुर सिटी नार्थ 6049, 4-रवि पांडेय जांजगीर-चांपा 6002, 5-सागर सिंह मुंगेली-लोरमी 4631, 6-नीलम चंद्राकर धमतरी कुरूद 4033, 7-गणपत जांगड़े रायगढ़- सारंगढ़ 3825, 8- अमित शर्मा बलौदाबाजार-भाटापारा 3651, 9-आनंद पवार धमतरी 3436, 10-अजीत कुकरेजा रायपुर सिटी नार्थ 3435 लोगों को जोडऩे वाले को दिल्ली लेकर राहुल गांधी से मिलाना था, लेकिन वे ऐसे कई लोगों को साथ लेकर गए जो लोगों को जोडऩे के मामले में टॉप टेन में दूर उसके आस-पास भी नहीं थे, जिसकी पूरे प्रदेश में चर्चा हो रही है।
टॉप 10 का होना था सम्मान, लेकिन ये भी गए
29. विकास उपाध्याय, रायपुर पश्चिम 1188
एक अन्य वरिष्ठ नेता जिनका नाम उपर्युक्त सूची में ही नहीं।

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