देश के पूर्व राष्ट्रपति व महान वैज्ञानिक डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर शिलांग आर्इआर्इएम में याद करते हुए श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर शिक्षक आैर छात्रों ने पुष्य अर्पित किए आैर मोमबत्ती जलार्इ। कलाम को श्रद्धांजलि समय पद्म भूषण विजेता प्राेफेसर विकास सिन्हा भी उपस्थित थे।
बता दें कि ‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोकप्रिय हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का मेघालय के आईआईएम में एक व्याख्यान देने के दौरान गिरने के बाद निधन हो गया था।
देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति माने जाने वाले कलाम ने 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, लेकिन राष्ट्रपति पद पर दूसरे कार्यकाल के लिए उनके नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी। वह राजनीतिक गलियारों से बाहर के राष्ट्रपति थे।
साल 1931 में रामेश्वरम के करीब पैदा हुए अब्दुल कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिक्स की पढ़ाई की थी, उन्हें 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।मिसाइल मैन के नाम से मशहूर रहे कलाम लंबे समय तक डीआरडीओ और इसरो के साथ जुड़े रहे।
देश की रॉकेट और मिसाइल टेक्नोलॉजी के वे महारथी माने जाते रहे और देश की मिसाइल प्रणाली के विकास में उनके योगदान को खास तौर से देखा जाता है। एपीजे कलाम बच्चों में भी खासे लोकप्रिय थे और आखिरी समय तक पढ़ने पढ़ाने से लगाव रहा। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि अपने आखिरी लम्हें भी उन्होंने छात्रों के बीच ही गुजारा।