पूर्वोत्तर के राज्य असम में 30 जुलाई को जारी होने जा रहे NRC के मसौदे से पड़ोसी राज्य सकते हैं। एनआरसी के प्रकाशन के बाद घुसपैठ की बढ़ती आशंकाओं के चलते अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय और मणिपुर ने अपनी सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी है। यहां की सरकारों ने राज्य के लोगों से भी ऐसी घुसपैठ के प्रति सतर्कता बरतने को कहा है।
मेघालय के खासी छात्र संघ (केएसयू) ने असम से संभावित घुसपैठ पर चिंता जताई है। संगठन के महासचिव डॉनल्ड वी थाबा ने राज्य की साझा सरकार को ठोस घुसपठ-रोधी कदम उठाने को कहा है। थाबा कहते हैं कि 1971 के बाद असम में बांग्लादेशियों की लगातार बढ़ती घुसपैठ की वजह से असमिया, बोड़ो और राभा जैसी जनजातियां अपने घर में ही बेगानी हो गई है। हम नहीं चाहते कि मेघालय की जनजातियों का भी वही हश्र हो।
मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकारों ने भी असम से अवैध नागरिक करार दिए जाने वाले लोगों की घुसपैठ की आशंका के मद्देनजर सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है। मणिपुर ने असम की बराक घाटी से लगे जिरीबाम इलाके में सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात कर दी है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी सीमा पर आवाजाही करने वालों की कड़ी जांच करने का निर्देश दिया है। राज्य के पुलिस महानिदेशक एसबी सिंह कहते हैं कि हमने तमाम ऐहितयाती उपाय किए हैं ताकि 30 जुलाई के बाद असम से अवैध घुसपैठिए राज्य का रुख नहीं कर सकें।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों यह कह कर इन राज्यों का डर बढ़ा दिया था कि एनआरसी की अंतिम सूची से लाखों लोगों के नाम बाहर हो सकते हैं। एनआरसी के प्रकाशन के बाद किसी संभावित समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने असम व पड़ोसी राज्यों में केंद्रीय बलों के 22 हजार जवान भेजे हैं। असम के शिवसागर, कार्बी आंग्लांग, जोरहाट, गोलाघाट और उरियामघाट जैसे इलाके नागालैंड से लगी सीमा के पास स्थित हैं।