ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार बनते कड़कनाथ मुर्गे की लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ रही है। लजीज स्वाद और औषधीय गुणों से परिपूर्ण बस्तर के कड़कनाथ से अब देश की प्रमुख हस्तियां भी वाकिफ होना चाहती हैं। यही वजह है कि आगामी 25 जुलाई को बस्तर और दंतेवाड़ा के दो दिवसीय प्रवास पर आ रहे देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कड़कनाथ की फार्मिंग देखेंगे और उसके गुणों से अवगत होंगे।
दंतेवाड़ा प्रवास के दौरान राष्ट्रपति समन्वित कृषि प्रणाली का अवलोकन करेंगे। हीरानार स्थित कड़कनाथ हब के साथ करीब 25 एकड़ में तैयार खेती एवं बकरी पालन केन्द्र का अवलोकन करेंगे। इसके लिए अधिकारियों का दल हीरानार और घोटपाल में डेरा डाले हुए हैं। ज्ञात हो कि हीरानार अब कड़कनाथ हब के नाम से जाना जा रहा है। यह गांव समन्वित कृषि प्रणाली का मॉडल बन चुका है। अधिकारियों का मानना है कि हीरानार कड़कनाथ पालन के लिए ही नहीं किसानों की उन तमाम गतिविधियों के लिए जाना जाएगा जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। इस मॉडल को किसानों की आर्थिक क्रांति का आधार माना जा रहा है।
इसी गांव में तैयार बकरी पालन केन्द्र का भी राष्ट्रपति अवलोकन करेंगे, जहां सिरोही नस्ल की 45 बकरियों का पालन किया जा रहा है। इस कैंपस को मिनी बकरी अभ्यारण्य का नाम दिया गया है। बताया जा रहा है कि सिरोही बकरी का दूध मेडिसनल है। दावा है कि इस दूध से कैंसर तक ठीक हो जाता है। बकरी एक लीटर प्रति दिन दूध देती है। करीब 40 लीटर का उत्पादन किया जा रहा है। कैंपस में कड़कनाथ पालन के साथ मिनी राइस मिल का भी संचालन हो रहा है।
मशरूम उत्पादन किया जा रहा है। कुक्कुट, गाय, बकरी एवं कृषि अपशिष्टों को खाद में परिवर्तित करने के लिए छह नाडेप टैंक और दो वर्मी कंपोस्ट की स्थापना की गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दंतेवाड़ा प्रवास के दौरान महिला और किसानों के समूह सहित बच्चों से चर्चा करेंगे। साथ ही, मौजूद लोगों को भी संबोधित करेंगे। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। अधिकारी बरसते पानी में भी मॉडल तैयार करने में जुटे हैं।