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‘बाल विवाह से बचने के लिए मैं बन गई माओवादी, लेकिन वहां जिंदगी ज्यादा नरक’

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छत्तीसगढ़ में माओवाद एक बड़ी समस्या बनी हुई है. छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के एक दर्जन से ज्यादा राज्य माओवाद की समस्या से जूझ रहे है. बड़ा सवाल ये है कि क्या गरीबी और बाल विवाह माओवाद की ओर युवाओं के आकर्षण का प्रमुख कारण है. छत्तीसगढ़ के 27 में से लगभग 20 जिले माओवाद की चपेट में हैं. सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी माओवाद खत्म होने के बजाय समस्या बढ़ती जा रही है. माओवादी सगंठन से युवा और महिलाओं के जुड़ने के कारणों का खुलासा एक महिला माओवादी ने ही किया है.

13 साल माओवादियों के बीच रहकर 20 अगस्त 2016 को सरेंडर करने वाली एरिया कमांडर लक्ष्मी उर्फ श्यामबती उसेंडी का मानना है कि गरीबी और लड़कियों का बाल विवाह माओवाद के बढ़ने की असली वजह है. उसेंडी के मुताबिक, ज्यादातर युवा गरीबी के कारण और लड़कियां बाल विवाह से बचने के लिए माओवादियों के साथ जुड़ रही है.

श्यामबती उसेंडी का कहना है, ‘जंगल इलाके में रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण गरीबी बहुत ज्यादा है. साथ ही लोग अशिक्षा के आलावा रूढ़िवादी विचारधारा से ग्रस्ति है. मैं कम उम्र में शादी से बचने के लिए माओवादियों से जुड़ी. कैंप में जितनी भी लड़कियां रहती थी, उनमें से ज्यादातर लड़कियां बाल विवाह से बचने के लिए घर छोड़कर माओवादियों से जुड़ी थीं. लेकिन वहां जिंदगी ज्यादा नरक थी. सरकार की बहुत कम योजनाएं ही नक्सल प्रभावित इलाकों तक पहुंच पाती है. इसका फायदा माओवादी ग्रामीणों को बरगला कर उठाते है’.
माओवाद छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ने वाले युवाओं के लिए लक्ष्मी प्रेरणास्त्रोत बन सकती है. लक्ष्मी अब अपने पति शरादू उर्फ संजय के साथ सुखी परिवारिक जीवन बिता रही हैं. शरादू भी 8 साल माओवादियों के संपर्क में रहा. दोनों का प्यार माओवादियों के कैंप में ही परवान चढ़ा और वहीं दोनों ने शादी की थी. शादी के बाद दोनों ने एक साथ सरेंडर कर दिया और अब सुखी जीवन बीता रहे है. लक्ष्मी ने बताया कि समाज में कोई उनसे किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करता. सरकार भी उनकी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए भरपूर सहयोग कर रही है.

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