अब जल्द ही नए मतदाताओं (New Voters) के रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड (Aadhaar) का इस्तेमाल हो सकता है. इसके लिए केंद्र सरकार ने यूनिक आइडेंटिफिकेशन ऑफ इंडिया (UIDAI) के पास इसकी मंजूरी के लिए एक प्रस्ताव भेजा है. कानून मंत्रालय का कहना है कि आधार कार्ड वेरिफिकेशन के जरिये कई अन्य सेवाओं की भी फास्ट डिलीवरी संभव हो सकती है.
सरकार का कहना है कि ई-ईपीआईसी यानी इलेक्ट्रॉनिक इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड या वोटर स्लिप को डाउनलोड करने को जल्द ही आधार नियमों के अंतर्गत लाया जा सकता है. ये नियम पिछले साल 5 अगस्त को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किए गए थे. इसमें कहा गया है कि यह नियम आधार वेरिफिकेशन के लिए सुशासन के हित में, पब्लिक फंड की बर्बादी रोकने, लोगों के जीवन को आसान बनाने और सेवाओं तक उनकी बेहतर पहुंच के लिए हैं.
ऐसे कार्यों में आधार का उपयोग करने के लिए इच्छुक संस्था को केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजना होता है, जो इसे यूआईडीएआई को आगे भेजती है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यूआईडीएआई को कानून मंत्रालय का पत्र चुनाव आयोग के इशारे पर भेजा गया था और प्रस्तावित आधार रजिस्ट्रेशन स्वैच्छिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा.
अगस्त 2019 में आयोग ने कानून सचिव को आरपी एक्ट और आधार एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव देते हुए लिखा था कि वह मतदाताओं की सूची को बेहतर करने के मकसद से आधार डाटा एकत्र करने और इस्तेमाल करने के लिए सशक्त करे.
अगर यूआईडीएआई और सरकार की बीच सहमति बनती है तो आधार के साथ वोटर कार्ड को जोड़ने की प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और आधार एक्ट, 2016 में संशोधन की आवश्यकता के बिना शुरू हो सकती है.
आरपी एक्ट में चुनाव आयोग के प्रस्तावित संशोधन के अनुसार निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) मतदाता की पहचान के उद्देश्य से किसी व्यक्ति को अपना आधार नंबर प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है और यहां तक कि उन लोगों से भी कह सकता है जो पहले से ही मतदाता के रूप में रजिस्टर्ड हैं. ऐसा फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए होता है.