Jharkhand रांची। पंजाब में विधानसभा चुनाव के ऐन पहले कांग्रेस में संगठनात्मक फेरबदल और प्रदेश कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति का प्रयोग झारखंड में भी पहले हो चुका है 2019 में विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष डा. रामेश्वर उरांव की नियुक्ति के साथ-साथ पांच कार्यकारी अध्यक्षों की भी घोषणा की इसमें जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन का ख्याल रखा गया झामुमो और राजद के सहयोग के कारण कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़ी वह सत्ता में भी आ गई मगर सरकार में कांग्रेस के होने के बावजूद पांच कार्यकारी अध्यक्षों की न तो सरकार में कोई धमक है और उनकी खुद की पार्टी में पांच कार्यकारी अध्यक्षों में राजेश ठाकुर, डा. इरफान अंसारी, केशव महतो कमलेश, मानस सिन्हा और संजय लाल पासवान में इरफान और राजेश तो फिर भी बयानों में रहते हैं अन्य तीनों की गतिविधियां सीमित हैं कार्यकारी अध्यक्षों को लेकर कई बार संगठन के भीतर-बाहर शिकायतें भी आती हैं यह खेमेबंदी की भी बड़ी वजह है एक धड़ा कार्यकारी अध्यक्षों को हटाने की मांग अक्सर उठाता है कार्यकारी अध्यक्षों की पीड़ा भी कई बार छलकी है कि उन्हें सिर्फ नाम का पद दे दिया गया है अलग-अलग मौकों पर इन कार्यकारी अध्यक्षों ने पद से इस्तीफे की धमकी भी दी है।
कार्यकारी अध्यक्षों को लेकर उठता है विवाद भी
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के पांच कार्यकारी अध्यक्षों में राजेश ठाकुर, डा. इरफान अंसारी, केशव महतो कमलेश, मानस सिन्हा और संजय लाल पासवान शामिल हैं डा. इरफान अंसारी और राजेश ठाकुर राजनीतिक तौर पर अधिक प्रभावी हैं लेकिन अन्य तीन कार्यकारी अध्यक्षों की गतिविधियां सीमित हैं कार्यकारी अध्यक्षों को लेकर कई बार संगठन के भीतर-बाहर शिकायतें भी आती है।
यह खेमेबंदी की भी बड़ी वजह है एक धड़ा कार्यकारी अध्यक्षों को हटाने की मांग अक्सर उठाता है कार्यकारी अध्यक्षों में से एक मानस सिन्हा यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं जबकि संजय लाल पासवान छात्र इकाइ एनएसयूआइ के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं केशव महतो कमलेश का भी लंबा राजनीतिक अनुभव है।