ब्रिगेडियर पोनवार ने कहा कि जबतक हम नक्सलियों के मिलिट्री आर्म को नहीं तोड़ते वह सरेंडरक करने के लिए तैयार नहीं होंगे. अवस्थी ने कहा कि आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल में नक्लियों पर कड़ाई होने के बाद वह क्षत्तीसगढ़ के उस क्षेत्र में चले गए जहां सबसे ज्यादा माइनिंग की संभावना रही. यहां विकास भी नहीं हुआ था लिहाजा इसका फायदा उठाते हुए नक्सलियों ने इसे अपना गढ़ बना लिया था. लेकिन धीरे-धीरे सुरक्षाबलों ने अपनी जगह बनाई है और जिस तरह से बीते 2-3 साल में काम किया गया है उसी के भरोसे कहा जा सकता है कि अगले कुछ साल में हम नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म कर लेंगे.
सुनील कुमार ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में हमने नक्सलवाद से एक बड़ा क्षेत्र मुक्त करने में सफलता पाई है. पोनवार ने कहा कि आत्मविश्वास के जरिए हम नक्सलवाद को खत्म कर सकते हैं.
एक दर्शक ने कहा कि हमें याद रखने की जरूरत है कि एक समय में बस्तर के राजा और बस्तर की रानी जंगल में रहने वाले लोगों के लिए अपना किला खोल देते थे. किले में जंगल के इन लोगों के त्यौहार मनाए जाते थे. आज भी राजा का किला खोला जाता है और यहां के आदिवासी किले में त्योहार मनाने जाते हैं. लिहाजा, हमें अब भी इनके अंदर खुद के प्रति विश्वास जगाने की है.
अन्य दर्शक ने सवाल किया कि विकास में नक्सलवाद कितना बड़ा प्रभाव डालता है. अजीत झा ने कहा कि बिते कई दशकों से कई अधिकारियों और सरकारों, पुलिस और सेना ने दावा किया है कि वह नक्सलवाद को खत्म कर देंगे. लेकिन आखिर क्यों इसे खत्म नहीं किया जा सकता है. ब्रिगेडियर पोनवार ने कहा कि हमें इसे खत्म करने के बेहद करीब हैं. वहीं अवस्थी ने कहा कि नेपाल में नक्सलवाद को राजनीतिक तौर पर हराया गया.
नक्सलवाद को महज सिक्योरिटी के सहारे नहीं खत्म किया जा सकता. यह जरूर है कि सुरक्षा एजेंसी का बेहद अहम काम है नक्सलवाद को खत्म करने के लिए माहौल को तैयार करने में है. अंशुमान तिवारी ने कहा कि क्या राजनीतिक तौर पर इसे सुधारने की कवायद मुमकिन हैं. लेकिन पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि राजनीतिक सुधार के लिए उनके साथ डायलॉग बेहद जरूरी है और डायलॉग के लिए माहौल बनाने का काम जोरशोर से चल रहा है.