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वनांचलों में पेयजल की भारी किल्लत,तुर्री पानी में पानी का संकट लाईन लगाने के बाद भी नही मिल पा रहा पानी, पहाड़ चढ़ पानी लाने मजबूर ग्रामीण.

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सोनहत।  शहरों में पानी की किल्लते और पानी के लिए लंबी कतारें आम हो गई है। लेकिन अब ग्रामीण अंचलों में भी पानी के लिए लंबी कतारे दिखने लगी है। सोनहत विकासखंड एवं भरतपुर सोनहत विधान सभा के अधिकाशं वनांचलों पानी के लिए लोगों का हाल बेहाल है। वनांचल ग्रामों का दौरा करें तो महिलाओं की सिर पानी लिए और पुरूषों की कंधो पर पानी ढो कर लाते कई तस्वीरे देखी जा सकती है। बावजूद इसके शासन प्रशासन द्वारा जल संकट को लेकर कोई समाधान नही निकाला जा रहा है। वर्तमान समय में तुर्री पानी गांव जिसका नाम ही तुर्रे से पानी निकलने के कारण तुर्री पानी पड़ा वहां पर पेय जल समस्या ने विकराल रूप लिया है। आलम है की ग्रामीण पानी के लिए लंबा सफर कर रहे है। कभी पहाड़ के नीचे स्थित तुर्रे से तो कभी खेत से पानी को घर तक ले जारहे है। हलाकी इस ग्राम में जल का कोई दूसरा स्रोत उपलब्ध नही है। और प्रशासन द्वारा तुर्रे के पानी को ग्राम स्तर तक पहुचाने के लिए एक पानी की टंकी का निर्माण कराया गया जिससे सोलर संचालित पंप के माध्यम से लंबी पाईप लाईन बिछाकर कर पानी को गांव तक लाने प्रयास किया गया है। लेकिन ग्राम का अवश्यकता के अनुरूप पर्याप्त पानी नही मिल पाता है। जिससे ग्रामीण तुर्रे से पानी ढोने मजबूर है। ग्रामीणों ने बताया की पंप का पानी कुछ देर चलने के बाद बंद हो जा रहा है। जिससे पाईप लाईन के पास लंबी कतारे लगी रहती हैं ग्रामीणों के अनुसार के्रडा विभाग के कर्मचारी भी बराबर आकर मेंटेनेंस का कार्य करते हैं बावजूद इसके व्यवस्था सुलभ नही हो पा रही है।


100 वर्षों से तुर्रे के पानी पर आश्रित
ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया की विगत 100 वर्षों से आज तक तुर्रा नही सुखा हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया की इस प्राकृतिक जल स्त्रोत से एक हाॅर्ष पावर के पंम्प के बराबर की गति से नित प्रतिदिन 24 घन्टे पानी निकलता रहता है और यह पानी दो चट्टानों के बीच से निकलता है प्रतिदिन पूरा गाँव इस जल स्त्रोत के पानी का उपयोग करता है साथ ही कृषि कार्य भी किये जाते है लेकिन पानी लेने के लिए उन्हे लंबा सफर करना पड़ता है जिससे उन्हे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।


सीतापुर में भी भारी किल्लत
विकासखंड सोनहत की सीमा से कुछ दूर भरतपुर विकासखंड अंर्तगत स्थित वनांचल ग्राम सीतापुर मूल भूत सुविधाओं का मुहताज हो गया है। लोगों को सड़क बिजली स्वास्थ्य के अलावा स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नही हो पा रहा है। वैसे तो प्रशासन स्तर से सोलर संचालित टयूब वेल लगाया है लेकिन हर समय ग्रामीणों को उसका लाभ नही मिल पाता है।

लोगों की प्यास बुझाने के लिए यहां न तो काई प्याउ है और न ही कोई जनप्रतिनिधि ही यहां पर पानी के समस्या को लेकर जागरूक है। यह स्थान कोरिया जिले के भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र में स्थित है जिसे सीतापुर के नाम से जाना जाता है। बारिश के मौसम के अलावा यहां साल के 6 से 7 माह पानी की किल्लत बनी रहती है जिससे निजात पाने के लिए इस ग्राम का प्रत्येक सदस्य रोजाना घाट के पत्थरीली और जंगली रास्तों से होकर अपने परिवार की प्यास बुझाने के लिए सफर करते है

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