देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के शहर अपनी कला, संस्कृति और खानपान के लिए जितने मशहूर हैं उतने ही प्रदूषण के लिए भी मशहूर होते जा रहे हैं. वैसे तो यूपी के शहरों में प्रदूषण का स्तर हमेशा ही ज्यादा रहता है, लेकिन एक ताजा रिपोर्ट ने तो चिन्ता और बढ़ा दी है. स्विस संगठन आईक्यूएयर (Swiss Organization IQAir) द्वारा तैयार और मंगलवार को जारी ‘वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, यूपी के शहरों का हाल बेहद बुरा है. इतना बुरा कि दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में इनकी गिनती ऊपर से होने लगी है. दिल्ली एनसीआर के अहम जिले गाजियाबाद (Ghaziabad) ने तो इतिहास ही रच दिया है. इसे दुनिया के दूसरे सबसे प्रदूषित शहर (Second Most Polluted City) होने
का खिताब मिला है. बता दें कि चीन का हॉटन शहर दुनिया में नंबर वन है.
बहरहाल, गाजियाबाद के बाद बुलंदशहर, बिसरख जलालपुर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कानपुर और लखनऊ का नंबर है. इन शहरों में प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 के आधार पर मापा गया है. धन्य है यूपी का प्रदूषण विभाग. तो आइए जानते हैं कि इन शहरों में हवा की क्वालिटी पिछले महीनों में कैसी रही है.
ऐसा है यूपी के बड़े शहरों का हाल
लॉकडाउन के समय इनसानों को चाहे जितनी तकलीफ हुई हो लेकिन पर्यावरण को बहुत सुकून मिला था. बिना कुछ किए हवा इस कदर साफ हो गयी थी जितनी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन गाड़ियों के सड़कों पर उतरने और फैक्ट्रियों के शुरू होते ही सब फुस्स हो गया. एयर क्वालिटी इन्डेक्स के आंकड़े देखने से पता चलता है कि गाजियाबाद के साथ दूसरे शहरों का हाल कितना पतला है. प्रदूषण विभाग ने जो आंकड़े दर्ज किये हैं उससे ये साफ जाहिर है कि किसी भी महीने गाजियाबाद में एयर क्वालिटी इन्डेक्स सामान्य नहीं रहा है. अब पिछले महीने फरवरी की ही बात करें तो इसका स्तर 250 के पार रहा है. कानपुर के कई इलाकों में तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं मिली है, लेकिन रिहायशी इलाके दादानगर में एयर क्वालिटी इन्डेक्स 400 दर्ज किया गया है. ये बेहद गंभीर की श्रेणी में आता है. ग्रेटर नोएडा में भी एयर क्वालिटी इन्डेक्स 250 के पार दर्ज किया गया है. अब राजधानी लखनऊ का भी हाल देख लीजिए. लखनऊ के महानगर और अलीगंज में तो स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन बाकी मुहल्लों की हवा सांस लेने के काबिल नहीं बची है. एयर क्वालिटी इन्डेक्स का स्तर लखनऊ के कई इलाकों में 300 के आसपास दर्ज किया जा रहा है. लखनऊ के क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी डॉ. रामकरन ने सफाई देते हुए कहा कि इन दिनों धूल के कण मौसम में नमी के कारण उपर उठ नहीं पाते हैं. साथ ही शहर के कई इलाकों में सीवर लाइन के काम किये जाने से जगह-जगह खुदाई भी हुई है. लिहाजा एयर क्वालिटी इन्डेक्स का स्तर बढ़ा हुआ है. आम तौर पर ये 200 के नीचे ही रहता है.
इस कारण गाजियाबाद का है बुरा हाल
गाजियाबाद के क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी उत्सव शर्मा ने विस्तार से बताया कि शहर का ऐसा बुरा हाल क्यों हो रहा है और इससे निपटने के क्या प्लान किये जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यदि आप पिछले सालों के डेटा देखेंगे तो प्रदूषण के स्तर में लगातार सुधार आ रहा है. गाजियाबाद में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ है. इस साल दिल्ली के कश्मीरी गेट और आइएसबीटी के बन्द होने से गाजियाबाद के इलाकों पर बसों के आवागमन का बहुत प्रेशर रहा है. जाम से प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई है. गाड़ियों के बीएस-6 में बदलाव होने और बैट्री चालित गाड़ियों के ज्यादा से ज्यादा चलाने से इसमें कमी लाई जा सकती है. इसे तन्मयता से किया जा रहा है. सवाल तो बस इसी से खड़ा होता है कि सरकारी महकमे के अफसरों को बीमारी के बारे में पूरी जानकारी है, लेकिन पर्यावरण को इलाज नहीं मिल पा रहा है. इसकी वजह चाहे जो हो लेकिन इसमें जल्द सुधार की गुंजाइश बनानी होगी.