बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है।
चैतन्य बघेल ने अपनी याचिका में ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक द्वेषपूर्ण बताया है और जमानत देने की मांग की है। चैतन्य ने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए कहा है कि ईडी ने उन्हें बिना ठोस आधार के फंसाया है। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई महज राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है। याचिका में चैतन्य ने यह भी कहा है कि शराब घोटाले में उनका कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है और जांच एजेंसी उन्हें बलि का बकरा बना रही है। इस मामले में जल्द सुनवाई हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट में जाने की अनुमति शराब घोटाले में गिरफ्तारी के बाद चैतन्य बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जहां से उन्हें हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की सलाह दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि याचिका दाखिल होने पर इस पर शीघ्र सुनवाई की जाए।
पिता-पुत्र दोनों ईडी के निशाने पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपनी संभावित गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिकाएं दायर की हैं। उन्होंने शराब घोटाले के साथ-साथ कोयला घोटाला और महादेव सट्टा एप में भी फंसाए जाने की आशंका जताई है। माना जा रहा है कि चैतन्य बघेल की याचिका के बाद भूपेश बघेल भी हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं।
चैतन्य बघेल की न्यायिक रिमांड 14 दिन बढ़ी शराब घोटाले में रायपुर सेंट्रल जेल में बंद चैतन्य बघेल की न्यायिक रिमांड 14 दिन और बढ़ा दी गई है। विशेष न्यायालय ने चैतन्य को 18 अगस्त तक जेल भेजने का आदेश दिया है। एक हजार करोड़ की रकम हैंडल करने का आरोप ईडी के अनुसार, शराब कारोबारी पप्पू बंसल ने पूछताछ में बताया कि उसने और चैतन्य बघेल ने मिलकर शराब घोटाले की 1,000 करोड़ रुपये की रकम को मैनेज किया। बंसल के बयान के मुताबिक, अनवर ढेबर के जरिए यह पैसा दीपेन चावड़ा और राम गोपाल अग्रवाल तक पहुंचाया गया। बंसल ने यह भी बताया कि चैतन्य के कहने पर 100 करोड़ रुपये केके श्रीवास्तव को दिए गए।
फर्जी फ्लैट खरीद का भी आरोप ईडी का आरोप है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने अपने कर्मचारियों के नाम पर पांच करोड़ रुपये देकर बघेल डेवलपर्स से 19 फ्लैट खरीदे, जो ईडी के अनुसार फर्जी खरीद-फरोख्त है। ईडी का दावा है कि चैतन्य ने शराब घोटाले की काली कमाई को अपने रियल एस्टेट कारोबार में निवेश कर उसे सफेद किया है। शराब घोटाले के साथ-साथ कोयला घोटाला और महादेव सट्टा एप मामले में भी ईडी, सीबीआइ और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) जांच कर रही हैं।