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कोंडागांव : जिले से मजदूरों के पलायन का सिलसिला फिर शुरू हो गया है। प्रतिदिन 80 से 100 मजदूर रोजगार की तलाश में बसों से पलायन कर रहे…

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कोंडागांव। जिले से मजदूरों के पलायन का सिलसिला फिर शुरू हो गया है। प्रतिदिन 80 से 100 मजदूर रोजगार की तलाश में बसों से पलायन कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल के शुरुआती दौर में लाकडाउन लगने के कारण मजदूर गांव लौट आए थे। कुछ दिन तक खेती-बाड़ी करते गांव में रहे। गांव में रोजगार का संकट पैदा होता देख श्रमिक फिर से बड़े शहरों की ओर पलायन करने लगे हैं। दूसरी ओर अन्य राज्यों से पहुंचे 7673 प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा से पर्याप्त रोजगार उपलब्ध कराने के दावे करते जिला पंचायत के अधिकारी नहीं थक रहे। जिले के ग्राम जोड़ेगा, पुसपाल, खड़पडी, कुदुर, हिरामादला, मूंगापदर, मोहलाई, करनपुर, बयानार, मगवाल आदि गांवों सहित पड़ोसी जिले नारायणपुर से बड़ी संख्या में मजदूर महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। तमिलनाडु जाने के लिए निकले शंकर राम, अंधारू आदि ने बताया कि बोर गाड़ी में काम करने तमिलनाडु जा रहे हैं। वे कहते हैं कि गांव- घर छोड़कर बाहर जाना अच्छा नहीं लगता लेकिन यहां काम भी नहीं है और मजदूरी भी बहुत कम है। वर्तमान में क्षेत्र में प्रति व्यक्ति मजदूरी 150 से 180 रुपये है। वे बताते हैं कि बाहर 250 से 400 रुपये तक एक दिन में मिलते हैं। बड़े शहरों में जाकर एकमुश्त पैसे लेकर आने की बात भी कहते हैं। श्रमिकों ने बताया कि काम पर बुलाने वाले आने-जाने का किराया, रहने व खाने-पीने की सुविधाएं भी उपलब्ध करवा रहे हैं। कंपनियां मजदूरों को लेने सीधे बस भेज रही हैं। बुधवार को भी उन्हें लेने तमिलनाडु से बस यहां पहुंची। वे बताते हैं कि परिजन बाहर काम करने नहीं जाने देते लेकिन युवा अधिक पैसे के लालच में चोरी- छिपे गांव से निकल पड़ते हैं। श्रमिकों ने बताया कि बोरवेल मालिक के पास उनका फोन नंबर है। उसने फोन करके बुलाया है। जिले से बड़ी तादाद में मजदूरों का दल प्रतिदिन बसों से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश के महानगरों की ओर जा रहा है।

मोबाइल की उपयोगिता बढ़ गई

श्रमिकों की आवश्यकता वाले कंपनियां व लोग इनके मोबाइल नंबर रख लेते हैं। मजदूरी के दिन, मजदूरी राशि, अन्य सुविधाओं का लालच इसके माध्यम से ही दिया जाता है। सौदा तय हो जाने पर श्रमिक यहां से तय समय में चले जाते हैं। एक ओर जहां ऐसी तस्वीर है, वहीं दूसरी ओर जिला पंचायत सीइओ देवनारायण कश्यप दावा करते हैं कि प्रवासी मजदूरों व ग्रामीणों को जिले में पर्याप्त रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।