छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों में भारत बंद का मिला जुला असर दिख रहा है। बुधवार को सुबह से ही बैंक, खदानों और केंद्र सरकार के दफ्तरों के बाहर ट्रेड यूनियनों के नेता नजर आए। कर्मचारियों ने नारे बाजी करते हुए दफ्तरों को बंद रखा है। हालांकि आमतौर पर खुलने वाले बाजार और दुकानों पर इसका असर नहीं हैं। ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों के प्रदर्शन की राज्यभर से खबरें आ रही हैं। राजधानी रायपुर में बैंक कर्मचारियों ने बंद का समर्थन करते हुए, बूढ़ापारा स्थित सप्रे शाला में धरना दिया। केंद्र सरकार के उपक्रमों के अन्य कर्मचारी भी यहां समर्थन देने पहुंचे। यहां कुछ राज्य स्तर के कर्मचारी संगठनों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई।
किसानों का विरोध
छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष संजय पराते ने बताया कि मोदी सरकार की नीतियों के चलते खेती और कृषि उत्पादन तथा विपणन में देशी-विदेशी कारपोरेट कंपनियों की घुसपैठ का विरोध, किसान आत्महत्याओं की जिम्मेदार नीतियों की वापसी, खाद-बीज-कीटनाशकों के क्षेत्र में मिलावट, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से किसानों को मासिक पेंशन देने, कानून बनाकर किसानों को कर्जमुक्त करने, पिछले दो वर्षों का बकाया बोनस देने जैसी मांगों को लेकर बंद किया जा रहा है।
बैंक कर्मचारी
सेंट्रल बैंक एम्प्लाइज यूनियन के प्रदेश महासचिव व छत्तीसगढ़ बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन के संगठन सचिव शक्ति सिंह ठाकुर ने बताया कि नई पेंशन स्कीम को बंद कर पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने, समस्त शासकीय व लोक सेवा क्षेत्रों में आउटसोर्सिंग बन्द कर पर्याप्त भर्ती, कॉर्पोरेट ऋण खातों की वसूली के लिए ठोस कदम, बैंकों के विलय, व अन्य सेक्टर्स के निजीकरण को तत्काल रोकने, सम्मानजनक वेतन देने जैसी मांगों को लेकर कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
मजदूर संगठन
बस्तर के मजदूर संगठन भी हड़ताल पर हैं एनएमडीसी की खदानों में काम करने वाले मजदूरों ने मांग रखी है कि न्यूनतम वेतन 21 हजार किया जाए, न्यूनतम पेंशन 10 हजार दी जाए, समान काम समान वेतन लागू हो, श्रम कानूनों का सख्ती से पालन किया जाए, बेरोजगारों को रोजगार दिया जाए, फिक्स टर्म एंप्लॉयमेंट बंद किया जाए, बढ़ते संविदा ठेकेदारीकरण के कामों पर विराम लगाया जाए, खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति वापस ली जाए, एनएमडीसी में खाली पदों पर भर्ती की जाए, 13 नंबर की खदान को अडानी समूह, निजी व पूंजीपतियों के उत्खनन करने की अनुमति न दी जाए, नगरनार स्टील प्लांट में विनिवेशीकरण पर रोक लगाई जाए
राज्य सरकार के दफ्तरों पर नहीं पड़ प्रभाव
बुधवार को ट्रेड यूनियनों के जुड़े कर्मचारियों ने तो बंद का समर्थन किया, काम भी रोका गया लेकिन राज्य शासन के ज्यादातर दफ्तरों में इसका असर नहीं देखने को मिला। रायपुर कलेक्टटोरेट समेत लगभग सभी जिलों के प्रशासनिक दफ्तरों में काम सामान्य तरीके से जारी रहा। छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के विजय झा ने बताया कि प्रदेश में पंचायत चुनावों की घोषणा हो चुकी है, आचार संहिता लागू है, ऐसे में अवकाश लेंने या काम रोकने में कलेक्टर की अनुमति चाहिए होगी, कर्मचारियों का वेतन भी कटेगा, इसलिए हम इस बंद का नैतिक समर्थन कर रहे हैं।