हम भारत के लोग,भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न,समाजवादी,पंथ निरपेक्ष,लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक न्याय,विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रदान करने और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए…..अधिनियमत और आत्मार्पित करते हैं।
ये है संविधान की मूल प्रस्तावना। जी हां अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखे भारतवासी को संविधान की यह मूल भावना और प्रस्तावना याद नहीं है। याद तो छोड़िए मूल भावना का ही ज्ञान नहीं है। दूरस्थ वनाचंल में पढ़ने वाले एक स्कूली बालक को यह मुंह जुबानी याद है। याद भी ऐसा नहीं । चौबीस घंटे वह इस मूल भावना को बुदबुदाते रहते हैं।
मरवाही ब्लॉक के ग्राम नाका में मिडिल स्कूल है। इस स्कूल में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे आदिवासी हैं। उसमें भी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाने वाले बैगा आदिवासी बच्चों की बहुतायत है। खास बात ये कि वनांचलों में अपनों के बीच रहने वाले बैगा आदिवासी अपने बच्चों को कंधे पर कुल्हाड़ी के बजाय स्कूली बस्ता की जिम्मेदारी डाल रहे हैं। बैगा आदिवासी परिवार का एक बच्चा अवतार सिंह श्याम आठवीं कक्षा में पढ़ता है। स्कूली किताबों की पढ़ाई के बीच उसने संविधान की प्रस्तावना को भी अच्छी तरह याद कर लिया है।
पढ़ाई के समय वह वह किताबों में उलझा रहता है और जब भी खाली समय मिलता है पूरी तन्मयता के साथ ही प्रस्तावना में दर्ज मूल भावना को सम्मान के साथ बोलते रहता है। स्कूल के शिक्षक मोहम्मद जहीर अब्बास बताते हैं कि कक्षा में पढ़ाई के दौरान संविधान दिवस के अवसर पर प्रस्तावना के वाचन के लिए बच्चों से पूछा गया तब अवतार सिंह श्याम ने प्रस्तावना याद होने की बात बताई। जब उन्होंने धारा प्रवाह बोलना शुरू किया तो हेडमास्टर एएल ध्रुवे भी आश्चर्यचकित रह गए ।
दूसरे बच्चों के लिए बने रोल मॉडल
स्कूल के अन्य बच्चों के लिए अवतार रोल मॉडल बन गए हैं। स्कूल में पढ़ाई के बाद जब भी खाली समय मिलता है अवतार अन्य बच्चों को भी संविधान की प्रस्तावना को याद कराते हैं। स्कूल में मिलने वाले खाली समय का बच्चे खेल के बाद प्रस्तावना याद करने में बिताते हैं। स्कूल परिसर में गजब का माहौल दिखाई देता है।
स्कूल के नाम अनोखा कीर्तिमान
नाका मिडिल स्कूल के नाम एक अनोखा कीर्तिमान भी है। बीते वर्ष एनसीईआरटी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में इस स्कूल के 12 बच्चों ने बाजी मारी थी। सभी बच्चों को चयन छात्रवृति के लिए किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर इन बच्चों को अध्ययन अध्यापन के लिए छात्रवृति मिलेगी ।