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छत्तीसगढ़ : भारी बारिश के बाद भी नहीं आधे भी नहीं भरे अंचल के सिंचाई जलाशय

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बीते आठ दिनों से अच्छी बारिश से जहां बस्तर संभाग के हर क्षेत्र में नदी-नाले उफान पर हैं वहीं दूसरी ओर संभाग के कई प्रमुख सिंचाई जलाशय आधे भी नहीं भरे हैं। जल संसाधन विभाग की मध्यम सिंचाई परियोजना कोसारटेडा, परलकोट और मयाना की जब यह हालत है तो लघु सिंचाई जलाशयों की हालत आसानी से समझी जा सकती है। संभाग के 190 लघु सिंचाई जलाशयों में से आधे से अधिक जलाशयों में एक चौथाई जलभराव ही हो पाया है। अंदरूनी नक्सल क्षेत्र जहां के अधिकांश जलाशय जर्जर स्थिति में हैं और सालों से इनकी मरम्मत नहीं हुई है उनमें से कई में पानी ही नहीं ठहरता है। आगामी 15 दिनों में यदि पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो जलाशय सौ फीसदी भर पाएंगे इसमें संदेह है। जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों का कहना है कि कोसारटेडा बांध में जलभराव को लेकर ज्यादा चिंता नहीं है क्योंकि संभाग के मध्यम सिंचाई जलाशयों में इस सबसे बड़े जलाशय में पिछले दो साल में भी अगस्त के पहले सप्ताह में 40 से 44 फीसद जलभराव रहा था। इस साल भी करीब इतना ही जलभराव अभी तक हुआ है। चिंता की बात परलकोट और मायाना को लेकर है। इन दोनों जलाशयों में 25 फीसदी पानी भी नहीं भरा है। ऐसी स्थिति में रबी के सीजन में फसल की सिंचाई के लिए पानी की कमी हो सकती है। इंजीनियरों का कहना है कि सब कुछ आगामी दिनों में होने वाली बारिश की स्थिति पर निर्भर करेगा।

मध्यम सिंचाई जलाशयों में जलभराव की स्थिति 03 अगस्त की तिथि में

01 कोसारटेडा जलाशय

जलभराव क्षमता- 63.69 मिलियन क्यूबिक मीटर

जलभराव की स्थिति- 44.12 मिलियन क्यूबिक मीटर

02 परलकोट जलाशय

जलभराव क्षमता- 63.55 मिलियन क्यूबिक मीटर

जलभराव की स्थिति- 17.89 मिलियन क्यूबिक मीटर

03 मयाना जलाशय

जलभराव क्षमता- 5.60 मिलियन क्यूबिक मीटर

जलभराव की स्थिति- 0.784 मिलियन क्यूबिक मीटर