उफनती इंद्रावती, तेज बहाव और डोलती डोंगी पर सलामती जहां भगवान भरोसे है, पिछले पांच साल से खुद की सलामती को दांव पर लगाकर रानी मंडावी कर्तव्यपरायणता की मिसाल बनी हुई हैं। रानी नदी पार बेलनार उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं। वह पिछले पांच वर्षों से बेलनार समेत तीन गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। रानी पर बेलनार के अलावा ताकीलोड, पल्लेवाया गांव की जिम्मेदारी है। तीनों गांव 15 से 20 किमी दूर बसे हैं। बावजूद अकेली महिला हेल्थ वर्कर की ड्यूटी के प्रति निष्ठा से तीनों गांवों तक प्रतिकूल हालातों में जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रही हैं। 2015 में संविदा से नियमित होने के बाद पहली बार रानी की पोस्टिंग बेलनार उप स्वास्थ्य केंद्र में हुई थी। संविदा में कार्यरत रहते उसकी पोस्टिंग दूसरे स्थान पर थी। बेलनार पोस्टिंग के बाद रानी के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी फील्ड तक पहुंचने की। नईदुनिया से चर्चा में रानी ने बताया कि पोस्टिंग के बाद पहली दफा जब वह बेलनार उप स्वास्थ्य केंद्र में ज्वाइनिंग देने के उद्देश्य से भैरमगढ़ रवाना हुई थी तो नदी के अड़चन की जानकारी थी, लेकिन नदी को पार करना कितना जोखिम भरा होगा, इसका अंदाजा उसे बिल्कुल नहीं थी। पहली दफा पेड़ के तने को खोखला कर ग्रामीणों द्वारा उपयोग लाई जा रही डोंगी पर बैठना न सिर्फ नया अनुभव था बल्कि नदी को पार करते वक्त जोखिम का एहसास भी हुआ। इंद्रावती नदी के पार ताकीलोड, बेलनार, पल्लेवाया गांव माड़ की सीमा से लगे हुए हैं। इस वजह से नदी पार माओवादी अपनी समानांतर सरकार भी चला रहे हैं। नक्सली समस्या की वजह से नदी पार यह समूचा इलाका सरकार की पहुंच से दूर है। बावजूद रानी मंडावी के जज्बे को स्वास्थ्य अमला सलाम करता है। पिछले चार साल से रानी ठंड हो या बरसात, दुर्गम इलाके में अपनी दस्तक दे रही है।
बीच नदी में फंसी थी नाव
नईदुनिया से चर्चा में रानी ने बताया कि नाव से पार होते वक्त कई दफा दुर्घटनाओं में बाल-बाल बची। पिछले साल बारिश में बेलनार से लौटते वक्त डोंगी नदी के बीचों-बीच तेज बहाव से चट्टानों के बीच फंस गई थी। नाविक की सूझबूझ से किसी तरह उसकी जान बची थी। कई दफा नाव चलाने वाला नहीं मिलने पर सीने तक पानी में भी जोखिम उठाकर वह नदी पार कर चुकी है। उनके साथ मितानिन, आंबा कार्यकर्ता भी होती हैं। वे भी जोखिमभरी परिस्थितियों से जूझती हैं मगर उनके पास लाइफ सपोर्ट जैकेट नहीं है, जिससे आपात स्थिति में खुद को सुरक्षति कर सकें। इन्हीं हालातों में वह पिछले चार साल से जीवन रक्षक दवाईयां लेकर गांवों तक पहुंच रही हैं।
नाव हादसे में गंवा चुके हैं जान
भैरमगढ़ क्षेत्र में नेलसनार घाट से ग्रामीण नदी पार आना-जाना करते हैं। नदी के पार भैरमगढ़ ब्लाक के अलावा अबूझमाड़ के गांव भी आते हैं। रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी को पार करते हैं। नेलसनार में इंद्रावती काफी चौड़ी है और बारिश में यहां बहाव भी तेज होता है। गत वर्ष यहां नदी को पार करते वक्त एक नाव तेज बहाव में पलट गई थी। हादसे में एक मासूम सहित चार ग्रामीणों की मौत हो गई थी।
‘जिले के अंदरुनी इलाकों में हालात काफी बुरे हैं। स्टॉफ पूरे समर्पित भाव से ड्यूटी पूरा करते हैं, रानी मंडावी उनमें से एक हैं। नदी को पार करने के जोखिम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। स्टॉफ की सुरक्षा और सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में जरूरी मांगों को रखा गया है।