दंतेवाड़ा जिले के जावंगा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नौ माह तक सेवा देने वाले डॉ रोशन मिश्रा के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई जाएगी। इस संबंध में कलेक्टोरेट से निर्देश सीएचएमओ को मिले हैं। जिले में संविदा और डीएमएफ राशि से नियुक्त सभी डॉक्टर और स्टॉफ के दस्तावेजों का प्रति परीक्षण किया जाएगा। इसकी तैयारी में स्वास्थ्य विभाग जुटा है।
जावंगा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सितंबर 2017 में नियुक्ति के बाद करीब नौ माह की सेवा देने वाले एमबीबीएस डॉक्टर रोशन मिश्रा के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। इस दौरान उसने बकायदा मानदेय की राशि भी नियमित रूप से लेता रहा। शिकायत के बाद जांच में उसके दस्तावेज नकली पाए गए लेकिन इसके पहले ही वह अक्टूबर 2018 से गायब है। प्रशासन उसकी खोजबीन के साथ ही उसके खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य धाराओं के तहत पुलिस में प्रकरण सौंप रहा है। इस संबंध में सीएचएमओ डॉ नवरतन ने बताया कि डॉ रोशन की नियुक्ति कलेक्टोरेट के आदेश पर सितंबर 2017 में गीदम के जावंगा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई थी। उसकी मार्कशीट और अन्य प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। उसके खिलाफ पुलिस में अपराध दर्ज कराने के निर्देश कलेक्टोरेट से प्राप्त हुए हैं। सीएचएमओ डॉ नवरतन ने बताया कि इसके साथ ही जिले में पदस्थ अन्य संविदा और डीएमएफ निधि के डॉक्टर और स्टाफ के दस्तावेजों का भी परीक्षण कराएंगे। इसके लिए अधीनस्थों को निर्देश दिए गए हैं। ज्ञात हो कि अंदरूनी इलाकों के ग्रामीणों को उचित उपचार और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों, इसके लिए प्रशासन ने संविदा के अलावा विशेष पैकेज में अन्य प्रदेशों के डॉक्टरों की नियुक्ति विभिन्न हास्पिटलों में की है जिन्हें एक लाख से ढाई लाख रूपये तक मासिक पैकेज दिया जा रहा है। ऐसे डॉक्टरों की संख्या जिले में तीन दर्जन से अधिक है। ज्यादातर डॉक्टर जिला हॉस्पिटल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से ज्यादातर की नियुक्ति अंदरूनी हॉस्पिटलों के लिए है लेकिन अधिकारी और नेताओं के प्रभाव से यह अंदरूनी हॉस्पिटल में गिनती के दिन ही जाते हैं।