Home News राष्ट्रपति : आदिवासियों के संरक्षण के लिए लगाई गुहार

राष्ट्रपति : आदिवासियों के संरक्षण के लिए लगाई गुहार

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वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी और अन्य समुदाय के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए सोमवार को स्थानीय रहवासियों ने बैठक, रैली के बाद राष्ट्रपति और सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में वनाधिकार कानून में संशोधन का विरोध किया गया है। साथ ही, उप्र के सोनभद्र में हुए हिंसक वारदात की निंदा करते दोषियों को सजा व पीडि़तों को मुआवजा देने की मांग की है।

सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले दंतेवाड़ा में स्थानीय सभी समाज के लोग मेडका डोबरा में एकत्र हुए। वहां वनाधिकार कानून 2006 में संशोधन संबंधी चर्चा हुई। बताया गया कि 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। यदि सरकार के पक्ष में फैसला आता है तो इससे लाखों आदिवासी और वन क्षेत्र में परंपरागत रूप से रहने वाले अन्य समुदाय को बेदखल किया जा सकता है। इसके बाद उनके पास जीविकोपार्जन सहित अन्य कठिनाइयां होगी। लोगों को अधिकार देने की जगह उन्हें जमीन और परंपरागत वनाधिकारों से वंचित होना पड़ेगा। इसका विरोध आदिवासी समुदाय कर रहा है।

इसी तरह पिछले दिनों उत्तरप्रदेश के सोनभद्र के घोरावल कोतवाली क्षेत्र में जमीन विवाद के चलते दबंगों ने फायरिंग कर 10 आदिवासियों की हत्या कर दी। इतना ही नहीं आदिवासी अपने परिजनों का अंतिम संस्कार भी परंपरागत तरीके से नहीं कर पाए। पुलिस इस मामले में अनदेखी कर दबंगों को आश्रय दे रही है।

आदिवासी समाज की मांग है कि मामले की जांच एसटी एससी निवारण अधिनियम के तहत हो। फायरिंग में मारे गए परिवार को एक – एक करोड रूपए का मुआवजा और शासकीय नौकरी देने की मांग भी की गई है। आदिवासियों को जमीन का मालिकाना हक और इलाके में पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात करने की मांग शामिल है।

बैठक, रैली प्रदर्शन के दौरान प्रमुख रूप से जिलाध्यक्ष सुरेश कर्मा, नंदाराम सोरी, चैतराम अटामी, रामू नेता, वीरो वेट्टी, नंदलाल मुडामी, सत्यनारायण कर्मा, सावन नाग, बल्लू भोगामी, जया कश्यप, सोनी सोरी, कमला विनय नाग, दीपक कर्मा, भीमसेन मंडावी, छविंद्र कर्मा, लक्ष्मण कुंजाम, गंगूराम कवासी, सुकालू मुडामी, रामलाल नेताम, शैलेष अटामी, मंगल कुंजाम, लखन नेताम आदि मौजूद थे।