असम के सभी जिले इन दिनों घातक बीमारी से जूझ रहे हैं। दरअसल कोकराझार को छोड़कर असम के सभी जिले जापानी इन्सेफलाइटिस (जेई) की चपेट में आ गए हैं। शनिवार को दीमा हसाओ जिले के हैफलॉन्ग हॉस्पिटल में एक और मरीज की मौत हो गई। इसके साथ ही अब तक जेई से 50 लोगों की मौत हो चुकी है। हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द करने के साथ ही बीमारी से निपटने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं।
बता दें कि दीमा हसाओ जिले में कुंजलता हकमकासा (60) जेई का पहला शिकार हुई थीं। उन्हें हैफलॉन्ग सिविल अस्पताल में पिछले हफ्ते भर्ती कराया गया था। शनिवार को इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। शनिवार को राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 30 सितंबर तक के लिए डॉक्टरों, नर्सों और हेल्थ सेक्टर के दूसरे कर्मचारियों की सभी छुट्टियां रद्द करने का नोटिफिकेशन जारी किया है।
स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा का कहना है, ‘इमर्जेंसी केस में केवल डेप्युटी कमिश्नर को छुट्टी की इजाजत मिलेगी। हमने ये भी निर्देश दिए हैं कि कोई भी डॉक्टर, नर्स या दूसरे स्वास्थ्य कर्मी अपनी पोस्टिंग वाली जगह से बाहर नहीं जाएंगे। इस दौरान कोई भी गैरहाजिर पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही अनाधिकारिक अनुपस्थिति को आपराधिक लापरवाही मानते हुए संबंधित शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।’
सभी डेप्युटी कमिश्नरों को अलर्ट जारी किया गया है। उन्हें पंचायत और शहरी निकायों के साथ जेई के मामलों में सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। शर्मा का कहना है, ‘जेई के लिए असम इस वक्त संक्रमण काल से गुजर रहा है। 5 जुलाई तक जेई के 190 मामले सामने आए, जिनमें 49 मरीजों की मौत हो गई।’
उन्होंने साथ ही कहा कि वर्तमान मौसम में बीमारी के फैलने के अनुकूल हालात हैं, क्योंकि इस वक्त यहां भारी बारिश होती है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि धान की बड़े पैमाने पर खेती के साथ ही पूरे राज्य में सुअर पालन की वजह से वायरस को बढ़ने में मदद मिलती है। मंत्री ने कहा कि रूटीन टीकाकरण के तहत जेई पर लगाम के लिए 2016-17 में 20 जिलों में अभियान चलाया गया था। स्वास्थ्य विभाग ने इसके साथ ही कई आपातकालीन कदम भी उठाए हैं। इसके तहत जेई या एईएस (अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) से पीड़ित मरीजों को 1000 रुपये स्पेशल ट्रांसपॉर्ट अलाउंस (भत्ता) दिया जाएगा। इसके अलावा दवा, जांच, हॉस्पिटल खर्च के साथ ही आईसीयू में केयर का वहन भी स्वास्थ्य विभाग करेगा