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डेगची के सहारे आधे गांव वालों की जिंदगी पार हो रही

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पूर्व विधायक देवती कर्मा के गोद गांव की आधी आबादी बारिश के दिनों में एक-दूसरे से कट जाती है। मेल- मुलाकात के लिए 30-35 किमी का अतिरिक्त सफर करना होता है। पुल के अभाव में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उफनती नदी पार करने मजबूर हैं। बीमार और बच्चों को डेगची में बिठाकर तीन से चार लोग नदी पार कराते हैं। कई बार यहां नदी पार करते लोगों ने जान गंवाई है। पंचायत के बीच से बहने वाली डूमाम नदी पर पुल न होने से लोगों को जिला मुख्यालय आने के लिए बस्तर जिले से होकर पहुंचना होता है। वहीं आधे गांव के लोगों को पंचायत मुख्यालय का 30-35 किमी का फेरा लगाना पड़ता है। दंतेवाड़ा जनपद के तहत आने वाले ग्राम पंचायत पोंदूम की आबादी चार हजार से अधिक है। सात पारा वाले इस पंचायत की आधी आबादी डूमाम नदी के उस पार रहती है। इनमें बुरकापारा, कलमूपारा और हांदाखोदरा तो मानसून में पूरी तरह पंचायत मुख्यालय से कट जाते हैं। यहां की करीब दो हजार आबादी को राशन लेने के लिए भी 30-35 किमी कांवड़गांव से घूमकर आना पड़ता है। जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए इन्हें पड़ोसी जिला बस्तर के बास्तानार पंचायत के बाद गीदम होते आना होता है। पुल बनने के बाद यह दूरी नाममात्र की रह जाएगी। ग्रामीणों की मानें तो पुल बनने से आधा दर्जन से अधिक पंचायत के लोगों को लाभ होगा। जगदलपुर के लिए सीधा रास्ता हो जाएगा। अभी जो सड़क तैयार हुई है, वह सीधे बास्तानार को जोड़ देती है।

ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों की परेशानी प्रशासन नहीं जानता। शिविरों से लेकर जनप्रतिनिधि और अधिकारी तक ग्रामीण अपनी शिकायत लेकर हर साल पहुंचते हैं। इस साल भी सरपंच बुधराम और ग्रामीण, जिला प्रशासन को आवेदन दे चुके हैं। पूर्व कलेक्टर सौरभ कुमार ने यहां नदी पार करने और ग्रामीणों की सुविधा के लिए पंचायत को मोटरबोट सुलभ कराया था लेकिन वह एक दिन भी नहीं चल पाई क्योंकि जहां से लोग नदी पार करते हैं, वहां गहराई के साथ चट्टान हैं और पानी की रफ्तार भी काफी अधिक रहती है। लिहाजा तकनीकी रूप से मोटरबोट का संचालन वहां उपयुक्त नहीं था इसलिए मोटरबोट को हटा दिया गया है। ग्रामीणों की मानें तो दी गई मोटरबोट बड़ी साइज की थी। यदि छोटी मोटरबोट दी जाती तो शायद उनके काम आती।

पोंदूम पंचायत के आधे गांव डूमाम नदी से मानसून में कट जाते हैं, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। जानकारी लेकर वहां के हालात को सुधारने की कोशिश की जाएगी। एक टीम भी गांव भेजकर वस्तुस्थिति का अवलोकन कराया जाएगा।