कभी आदिवासी अंचल में तेंदूपत्ता संग्रहण गर्मी के दिनों में जीवकोपार्जन के लिए एक मजबूरी हुआ करती थी, लेकिन भूपेश बघेल सरकार के तेंदूपत्ता के मानक बोरा दर में बढ़ोतरी किए जाने से अब परिवार की खुशहाली का जरिया बन गया है.
गरियाबंद विकासखण्ड के ग्राम मरौदा के तेंदूपत्ता संग्राहक गणेश मरकाम और नरेश राम ध्रुव की लगभग एक ही कहानी है. दोनों परिवारों को कठिन समय में अपनी पत्नी के सोने के जेवर और चांदी की पायल व एैंठी को गिरवी रखना पड़ा, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संवेदनशील फैसले से मेहनत की कमाई से लिए गहनों को छुड़ाने में मदद मिली. 48 वर्षीय गणेश मरकाम ने बताया कि मैनें अपनी पत्नी के साथ मिलकर 935 गड्डी तेंदूपत्ता का संग्रहण किया, जिसके एवज में 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा की दर से 3740 रुपए प्राप्त हुए, जिससे अपने गिरवी रखे जेवर को छुड़ाने के साथ पत्नी तरणी बाई के उदास चेहरे पर फिर से रौनक आ गई.

उन्होंने कहा कि अगले वर्ष हम ज्यादा से ज्यादा तेन्दूपत्ता तोड़कर नए जेवर खरीदेंगे. इसी तरह ग्राम के ही नरेश ध्रुव ने भी इस सीजन में 2200 गड्डी तेंदूपत्ता का संग्रहण किया, जिससे उन्होंने 8800 रुपए मिल है. उन्होंने भी अपनी पत्नी के पायल और एैंठी को गिरवी से छुड़ाया. दोनों हितग्राहियों ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि बढ़ी हुई कीमत से हमें अतिरिक्त लाभ हुआ, जिससे हम अपने कर्ज से मुक्त हुए और पत्नी के चेहरे पर खुशी लौटा पाए.
उल्लेखनीय है कि गरियाबंद जिले में 70 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से 60 हजार संग्राहकों के माध्यम से इस वर्ष 78 हजार 765 बोरा तेंदूपत्ता संग्रहित किया गया, जिससे 4000 रुपए प्रति मानक बोरा की दर से कुल 31 करोड़ 50 लाख 62 हजार 900 रुपए संग्राहकों को वितरित किया जाना था. इनमें से 31 करोड़ 11 लाख 558 रुपए का भुगतान सीधे संग्राहकों के खाते में किया जा चुका है, अर्थात 98.77 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जा चुका है। शेष राशि शीघ्र ही भुगतान की जा रही है.