छत्तीसगढ़ के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के एक बार फिर नक्सलियों के फरमान को दरकिनार करके जमकर मतदान किया। दूसरे चरण की तीन लोकसभा महासमुंद, कांकेर और राजनांदगांव की दस विधानसभा सीट नक्सल प्रभावित मानी जाती है। इसमें कांकेर लोकसभा की पांच, राजनांदगांव की तीन और महासमुंद की दो विधानसभा शामिल है।
घोर नक्सल प्रभावित भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, कांकेर, सिहावा और मोहला मानपुर के मतदाताओं ने पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में जमकर वोट डाले। पिछले चुनाव की तुलना में हर सीट पर पांच से नौ फीसदी मतदान बढ़ा है।
निर्वाचन आयोग ने बस्तर और कांकेर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मतदान के लिए जागरूकता अभियान चलाया था। साथ ही बूथ तक मतदाताओं के सुरक्षित पहुंचने के लिए फोर्स का भी भारी इंतजाम किया गया था। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही थी।
यही कारण है कि मतदाताओं में भरोसा जागा और वे घरों से बाहर निकले। भारी गर्मी के बीच मतदाताओं में उत्साह देखने को मिल रहा था। पांच विधानसभा में पिछले लोकसभा की तुलना में वोट प्रतिशत कम हुआ है, लेकिन वह भी बहुत ज्यादा नजर नहीं आ रहा है।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कुछ सीटों पर अंदस्र्नी पार्टियां की रिपोर्ट नहीं आई है। इसके साथ ही ग्रामीणों को आठ से दस किलोमीटर दूर पैदल चलकर बूथ तक पहुंचना था। बेहद गर्मी का असर भी वोटिंग पर पड़ा है।
कई इलाकों में बूथ पर छांव की व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्रामीणों को भारी गर्मी में परेशानी का सामना करना पड़ा। आंकड़ों की मानें तो जिन पांच विधानसभा में पिछले चुनाव की तुलना में वोटिंग कम हुई है, वह सिर्फ दो से तीन प्रतिशत है।
शुक्रवार को अंतिम आंकड़ा आने के बाद यह प्रतिशत भी बराबर पहुंच सकता है। बिंद्रानवागढ़ के पांच गांव के वोटरों ने अपनी मांग को लेकर बहिष्कार किया था। इसको नक्सलियों के दबाव के रूप में नहीं देखा जा सकता। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो यहां ग्रामीण अपनी मांग को लेकर विरोध कर रहे थे।