आस्था नगरी दंतेवाड़ा में मनोकामना ज्योत चैत्र नवरात्रि पर जगमगा रहे हैं। श्रद्धालुओं का हुजूम सुबह से देर रात तक मंदिर और परिसर में जुटा रहता है। भक्तिमय संगीत और घंटी की स्वर लहरियों से परिसर गुंजायमान है। मंदिर में हजारों लोगों ने मनोकामना ज्योत प्रज्वलित करवाए हैं। सुबह मंदिर में हवन पूजन तो शाम को परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए लोग श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं। मां के दर्शन और आशीर्वाद के लिए आने वाले श्रद्धालुओं में स्थानीय के साथ देशी- विदेशी सैलानी और पर्यटक भी शामिल हैं।
क्यों है दंतेवाड़ा और दंतेश्वरी मंदिर
देश के 52 शक्तिपीठों में से एक दंतेवाड़ा है। यहां मांई दंतेश्वरी का वास है इसलिए दंतेवाड़ा का खास और प्रमुख आकर्षण मंदिर है। यह देवी दंतेश्वरी को समर्पित है। दंतेवाड़ा का नाम इस देवी के नाम पर है। देवी दंतेश्वरी बस्तर की आराध्य और प्रमुख देवी है। दंत कथाओं के अनुसार यह वह स्थान है जहां देवी सती के दांत गिरे थे।
एक कथा यह भी
पौराणिक कथा के अनुसार, जब काकतीय वंश के राजा अन्नमदेव यहां आए तब मां दंतेश्वरी ने उन्हें दर्शन दिए थे। तब अन्नम देव को देवी ने वरदान दिया कि जहां तक भी वह जा सकेंगे वहां तक देवी उनके साथ चलती रहेंगी। परंतु देवी ने राजा के सामने एक शर्त रखी थी कि इस दौरान राजा पीछे मुड़ कर नहीं देखेंगे। राजा जहां-जहां भी जाता, देवी उनके पीछे-पीछे चलती रहती, उतनी जमीन पर राजा का राज हो जाता। इस तरह से यह क्रम चलता रहा। अन्नम कई दिनों तक चलता रहा। चलते-चलते वह शंखिनी एंव डंकिनी नदियों के पास आ गया। उन नदियों को पार करते समय राजा को देवी के पायल की आवाज नहीं सुनाई पड़ी। उसे लगा कि कहीं देवी रूक तो नहीं गई। इसी आशंका के चलते उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो देवी नदी पार कर रही थीं। इस पर देवी ने राजा से कहा कि बस यहीं तक तेरा साम्राज्य होगा और अंतर्ध्यान हो गई। तब राजा यहां मंदिर बनवाकर नियमित पूजा-पाठ करने लगे। कालांतर में राजा के साथ उसकी प्रजा की भी वह इष्ट देवी हो गई।
यहां गिरे थे देवी सती के दांत
दंतेवाड़ा देवी दंतेश्वरी को समर्पित है। देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है। धार्मिक कथाओं के अनुसार देवी सती के दांत यहां गिरने से इसका नाम दंतेश्वरी शक्तिपीठ पड़ा। यहां देवी की षष्टभुजी काले रंग की मूर्ति स्थापित है। छह भुजाओं में देवी ने दाएं हाथ में शंख, खड्ग, त्रिशूल और बाएं हाथ में घटी, पदम और राक्षस के बाल धारण किए हुए हैं। मंदिर में देवी के चरण चिन्ह भी मौजूद हैं।