जगदलपुर। पहले चरण में शामिल बस्तर लोकसभा सीट के लिए मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। 11 अप्रैल को मतदान होना है और 9 अप्रैल से चुनावी शोर थम जाएगा। राजनीतिक दलों के पास चुनाव प्रचार के लिए अब केवल चार दिन का वक्त बचा है। ऐसे में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने राज्य स्तर के स्टार प्रचारकों को झोंक दिया है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए बस्तर लोकसभा सीट प्रतिष्ठा का चुनाव बन गई है। वहीं यहां शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया संपन्न करवाना चुनाव आयोग के साथ ही सुरक्षा बलों के लिए भी चुनौती का काम है।
कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और भाजपा की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की एक के बाद एक लगातार तीन-तीन सभाएं होंगी। इस दौरान राज्य के पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव की शनिवार को जगदलपुर शहर समेत कुछ और स्थानों पर नुक्कड़ सभाएं करेंगे।
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के स्टार प्रचारक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को जगदलपुर में सभा करेंगे। अंतिम दौर में नेताओं की प्रस्तावित हर सभा का बड़ा राजनीतिक गणित है। क्षेत्रों का चयन एक- दूसरे के गढ़ में सेंध लगाने के साथ ही अपना क्षेत्र सुरक्षित करना है।
नेताओं की सभा और उसका प्रभाव
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुक्रवार को भूपेश ने नगरनार में लोगों को संबोधित करने के बाद जगदलपुर में रात्रि विश्राम किया। पार्टी के प्रत्याशी दीपक बैज समेत क्षेत्र के सभी वरिष्ठ नेता भी रात में जगदलपुर में ही डटे रहे। शनिवार को सीएम की तीन सभाएं रखीं गई हैं। पहली सभा चित्रकोट के मारेंगा में थी, लेकिन वहां जाने से पहले भूपेश निषाद समाज के हिंगलाज मंदिर गए।
संसदीय क्षेत्र में निषादों की अच्छी आबादी है। कांग्रेस ने समाज की मांग पर विधानसभा चुनाव में पार्टी ने समाज के कुंवर सिंह निषाद को टिकट भी दिया था। कुंवर सिंह गुंडरदेही से विधायक चुने गए हैं। शनिवार को बघेल की पहली सभा चित्रकोट विधानसभा के मारेंगा में होगी। चित्रकोट पार्टी के प्रत्याशी और विधायक दीपक बैज का निर्वाचन और गृह क्षेत्र भी है।
बैज ने 2009 में इसी सीट से भाजपा के मौजूदा प्रत्याशी और भाजपा के तत्कालीन विधायक बैदूराम कश्यप को मात दी थी। कश्यप का भी यह गृह क्षेत्र है, इस वजह से भी इस सीट का महत्व बढ़ जाता है। भूपेश दोपहर बाद बीजापुर में एक सभा को संबोधित करेंगे। करीब 10 वर्ष बाद इस सीट से पार्टी विधानसभा का चुनाव जीती है। इस सीट से भाजपा के महेश गागड़ा लगातार दो विधानसभा चुनाव जीते और राज्य सरकार में मंत्री रहे।
शनिवार को सीएम की अंतिम जनसभा नारायणपुर के गोलावंड में होगी। यह स्थान कोंडगांव विधानसभा क्षेत्र से भी लगा हुआ है। कोंडागांव भाजपा के दिग्गज कश्यप परिवार का क्षेत्र है। हालांकि बीत दो विधानसभा चुनावों में पार्टी यहां से हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन कांग्रेस कोई जोखिम लेना नहीं चाहती है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह रविवार को बस्तर लोकसभा क्षेत्र में लगातार तीन सभाएं करेंगे। डॉ. रमन की पहली सभा चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के किलेपाल में होगी। डॉ. रमन की यह सभा पहले तोकापाल में होनी थी, लेकिन सीएम भूपेश की इसी विधानसभा क्षेत्र में हुई सभा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के सभा के स्थान में बदलाव किया गया।
पार्टी के प्रत्याशी बैदूराम कश्यप इसी विधानसभा क्षेत्र से आते हैं। विधानसभा चुनावों में पार्टी को यहां लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में डॉ. रमन की इस सभा की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है। डॉ. रमन इसके बाद प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों से परिपूर्ण बारसुर में होगी।
बारसुर दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में आता है। बस्तर लोकसभा क्षेत्र में शामिल आठ और बस्तर सभाग की 12 में से यही एक मात्र विधानसभा सीट है जहां भाजपा जीत पाई है। इस वजह से पार्टी यहां ज्यादा से ज्यादा लीड लेना चाह रही है। डॉ. रमन की तीसरी सभा बीजापुर मुख्यालय में होगी। बीजापुर में विधानसभा सीट अभी चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथ से निकली है।
योगी आदित्यनाथ
जगदलपुर मुख्यालय में रविवार को भाजपा के फायरब्रांड नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आमसभा को संबोधित करेंगे। जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र राज्य बनने के बाद से भाजपा के पाले में था, लेकिन पिछला चुनाव पार्टी हार गई। जगदलपुर संभाग के बाकी क्षेत्रों की अपेक्षा ज्यादा विकसित है। उद्योग और कारोबार की वजह से यहां बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग भी रहते हैं। पार्टी को लगता है कि योगी की यहां सभा से फायदा होगा।
योगी की इस सभा के माध्यम से पार्टी क्षेत्र में सक्रिय हिंदुवादी संगठनों से जुड़े लोगों को साधने की कोशिश करेगी। यह बताना लाजिमी होगा कि बस्तर संभाग के वनांचलों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के क्षेत्र में वर्षों से संघ सक्रिय है। संघ के कई अनुवांशिक संगठन भी यहां काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय नेताओं से परहेज
दोनों ही राष्ट्रीय दल फिलहाल राष्ट्रीय नेताओं की सभा से परहेज कर रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि राष्ट्रीय नेताओं के आने से दोहरा भार पड़ता है। एक तो चुनावी खर्च बढ़ता है। दूसरे राष्ट्रीय नेता के आने से कई दिनों का स्थानीय कार्यक्रम प्रभावित होता है।
सभा से पहले वहां की व्यवस्था और भीड़ जुटाने की तैयारी, फिर आने वाली भीड़ को संभालना और उनके लिए व्यवस्था करना भारी पड़ता है। चार महीने पहले ही चुनाव हुआ है अब लोग अपने कामों में व्यस्त हैं। ऐसे में उन्हें सभा में शामिल करने में भी दिक्कत होगी।