’’बीमारियो के उपचार के अनेक माध्यमो मे आयुर्वेद चिकित्सा सर्वश्रेष्ठ माना गया है यह कहा जा सकता है कि मानव के स्वस्थ जीवन का आधार आयुर्वेद है, अगर हम आयुर्वेदा आधारित जीवन शैली, आचार व्यवहार, खान-पान, का अनुसरण करेंगें तो निश्चित रूप से एक स्वस्थ जीवन के अधिकारी होगें। जिले मे कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए आयुर्वेद की बड़ी भूमिका हो सकती है। इसके लिए सभी आयुष चिकित्सको को एक बेहतर रणनीति बनानी होगी’’
फरसगांव विकासखण्ड के ग्राम बोरगांव स्थित दण्डकारण्य बुनकर सोसायटी भवन मे आयोजित आयुष चिकित्सको की समीक्षा बैठक मंे जिला कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम ने उक्ताशय के विचार प्रकट किये। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0विरेन्द्र ठाकुर, जिला महिला बाल विकास अधिकारी वरूण नागेश, जिला आयुर्वेद चिकित्सक डॉ0 चन्द्रभान वर्मा, परियोजना अधिकारी इमरान अख्तर सहित जिले के आयुष चिकित्सक उपस्थित थे। जिला कलेक्टर ने आगे कहा कि बस्तर संभाग औषधि पेड़-पौधे की दृष्टि से एक समृद्ध क्षेत्र है। परन्तु कई बार हम जानकारी के अभाव मे उससे लाभान्वित नहीं हो पाते अतः आयुष विभाग का यह दायित्व है कि वह क्षेत्र मे पाये जाने वाले वन औषधियो के संरक्षण, उसके महत्व एवं उपयोगिता कि विषय में जनसामान्य को परिचित करायें। उसके साथ ग्रामीणो को अपने खाली पड़े हुए खेतो एंव बा़िड़यो मंे औषधि गुण वाले पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिये ताकि उसके व्यवसायिक कृषि की संभावना को तलाशा जा सके। इसी तरह उन्होंने जिले के छात्रावास एंव आश्रम मे योग कक्षाये नियमित रूप से प्रारंभ करने का निर्देश देते हुए कहा कि योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है योग मात्र व्यायाम में नही है। योग हमारी जीवन शैली मे परिवर्तन लाकर हमारे अन्दर जागरूकता उत्पन्न करता है। अतः नई पीढ़ी को शुरूवात से ही योग का महत्व बताना चाहिये जिससे कि वे योग को दिनचर्या का अंग बना सके।
इस दौरान आयुष विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रो के माध्यम से संचालित हो रही विभागीय गतिविधि की जानकारी देते हुए बताया गया कि सुपोषण चौपाल, पोषण पखवाड़ा, में निशुल्क चिकित्सा शिविरो का आयोजन, ग्राम में ही सर्वाेपयोगी औषधियो का निर्माण, जड़ी बुटी की पहचान एवं घरेलु उपचार, मलेरिया एंव उल्टी दस्त से बचाव, उपचार जैसे कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजन किये जाते है। समीक्षा बैठक के अन्त मे जिला कलेक्टर के द्वारा स्थानीय वैद्यो एवं आयुष चिकित्सको की संयुक्त कार्यशाला आयोजित करने की भी बात कही गई।