एसईसीएल की कोयला खदानों से प्रभावित भू – विस्थापितों ने रोजगार , उचित मुआवजा , पुनर्वास सहित अन्य मांग को लेकर मंगलवार को 20 किलोमीटर तक पदयात्रा कर जिलाधीश को ज्ञापन सौपा . भू – विस्थापितों ने मांग पूरा नहीं होने पर कोरबा से मुख्यमंत्री निवास रायपुर तक पदयात्रा करने की चेतावनी दी है। भू – विस्थापितों की पदयात्रा गंगानगर से कुचैना , भैरोताल होते हुए वैशालीनगर , सर्वमंगला नगर होते हुए कोरबा स्थित कलेक्टोरेट पहुंची . भू – विस्थापितों ने 12 सूत्रीय मांग पत्र ज्ञापन सौपा । यह पदयात्रा छत्तीसगढ़ किसान सभा (सीजीकेएम) , जनवादी नौजवान सभा (डी वाई एफ आई ) , जनवादी महिला समिति(ए आई डब्ल्यू डी) के संयुक्त आयोजन में हुआ। इस पदयात्रा में एसईसीएल से प्रभावित गेवरा , दीपका ,कुसमुंडा एवं कोरबा एरिया के सैकड़ों भू – विस्थापित एवं अवैध कालोनी , सर्वमंगला , नेहरूनगर , गंगानगर , वैशालीनगर और ग्राम कुचैना दादर नाला , पुरैना , रोहिता , भैरोताल के भू – विस्थापित शामिल हुए . माक्सर्वादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सतपूरन दास कुलदीप ने बताया कि भू – विस्थापितों के सम्बन्ध में कलेक्टर को ज्ञापन सौपा गया है । इसके बाद भी समस्याओं का निराकरण नहीं किये जाने पर कोरबा से मुख्यमंत्री निवास रायपुर तक पदयात्रा निकाली जाएगी। एसईसीएल से प्रभावित भू – विस्थापितों ने कलेक्टर को 12 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौपा है ।
जिसमें अतिरिक्त अधिग्रहित की गई जमीन की वापसी , पुर्नवास ग्रामों का विकास , जमीन का मालिकाना हक़ , रोजगार , उचित मुआवजा और पुनर्वास , 80 फीसदी आरक्षण , शिक्षा व्यवस्था सहित अन्य मांगे शामिल है। एसईसीएल ने 40 साल पहले नेहरूनगर , गंगानगर में पुनर्वास ग्राम स्थापित किया है। भू – विस्थापितों को बसाहट के लिए छह डिसमिल आबंटित की गई है, लेकिन भू – विस्थापितों को जमीन का मालिकाना हक़ नहीं मिल पा रहा है। देश का एसईसीएल ही एक मात्र सार्वजनिक उपक्रम है जो जमीन के बदले प्रभावितों को रोजगार उपलब्ध कराती है।
एसईसीएल ने पहले दो डिसमिल जमीन के स्वामी को भी नौकरी देती थी। एसईसीएल की रोजगार नीति अब बदल गई है। अब अधिक जमीन रकबा वाले भू-स्वामियों को नौकरी मिल रही है । कोल इंडिया की इस नीति से भू – विस्थापित सहमत नहीं है।