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Chhattisgarh : 30 लाख का पोल्ट्री फीड घोटाला : अनियमितता के तार आला अधिकारियों से लेकर नीचे तक!

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कोण्डागांव- पशुपालन विभाग में 30 लाख रुपए का पोल्ट्री फीड घोटाला सामने आया है। जिसे करीब 4 चार साल पहले अंजाम दिया गया, हालांकि इस बड़ी आर्थिक अनियमितता की जानकारी विभाग को दो साल पहले हो चुकी थी और तकरीबन 14 माह पहले 14 दिसंबर 2017 को जांच समिति गठित की जा चुकी है पर यह आश्चर्य की बात है कि अभी तक जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों द्वारा जांच पूरी नहीं की जा सकी है। इस दौरान चार विभागाध्यक्ष भी बदल दिए गए। घोटाले की जांच विभागीय लापरवाही के चलते पूरी नहीं हो सकी। जब जांच ही पूर्ण नहीं हो पायी तो विभाग के सेंधमारो पर कार्यवाही की बात करना संदेहास्पद लगने लगता है। 

फिजीकल वेरीफिकेशन भी नहीं किया जा सका

बात तत्कालीन पोल्ट्री विभाग के प्रभारी डॉ. एचपी द्विवेदी के कार्यकाल की बताई जा रही है। अनियमितता का मामला प्रकाश में आने के बाद पोल्ट्री फीड के लिए  कार्यवाही की गई। मामले में इतनी अधिक अनियमितता की गई है कि जिन फर्मों ने फीड सप्लाई की उन्हें अब तक भुगतान नहीं हो पाया है और जांच में आधी से ज्यादा रसीदों का मिलान ही नहीं हो पा रहा है। इससे भी ऊपर खरीदी गई सामग्री का किसी ने फिजीकल वेरीफिकेशन तक नहीं किया और जो अब तक लंबित है। 

जांच में सवाल उठना लाजिमी है

उपसंचालक डीके नेताम ने जो जांच समिति बनाई है उसमें विभागीय सीनियर अधिकारी की जांच जूनियर अधिकारी कर रहे हैं। इससे जांच में सवाल उठना लाजिमी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जूनियर अधिकारी अपने सीनियर अधिकारी से कड़े सवाल करने से बचते नजर आ रहे हैं, जो कि लाजिमी भी है। इसके साथ ही जांच समिति लम्बे समय से आरोपी से जरूरी जानकारी मांग रही है पर आरोपी उन्हे अपने प्रभाव से,नाकाम करते रहे हैं, जांच समिति बने सवा साल हो गया है पर जांच पूरी नहीं हो सकी है और फिलहाल कोई संभावना भी नजर नहीं आ रही है। 

डॉ द्विवेदी ने निजी खाते में डाल हजम किया शासकीय राशि 

डॉ. द्विवेदी के कार्यकाल के और भी कारनामें सामने आने लगे हैं। इसमें पॉल्ट्री फार्म कोण्डागांव के लिए आए केन्द्र सरकार के 15 लाख रुपए के रिवाल्बिंग फण्ड के मामले में तो यह बात सामने आई है कि तत्कालीन प्रभारी डॉ एच.के. द्विवेदी ने अपने एसबीआई कोण्डागांव के निजी खाते में सीधे ही जमा करा दिए हैं और उस राशि का आज तक कोई हिसाब नहीं है।

विभाग खुद ही लगा लीपापोती करने में

इस पूरे मामले में यह भी स्प्ष्ट रूप से सामने आ रहा है कि पशु विभाग कोण्डागांव आरोपी को बचाने में पूरी तरह से लगा हुआ है। अगर विभाग की मंशा होती तो जांच इतने लम्बे समय में पूरी हो जाती। जांच में सिर्फ इतना ही हो पाया है कि 29 लाख 90 हजार 834 के मामले पर 14 लाख 80 हजार 200 की ही जांच हो पायी जिसमें सामानों की भौतिक सत्यापन नहीं होने जैसी, और खरीदी में रसीदों के मिलान तक नहीं होने की बात सामने आयी है। रायपुर संचालक से आये पत्र में सात दिवस की दी गई। समय सीमा भी पूरा हुए आधा से ज्यादा माह बीत चुका है। इससे यह संदेह भी प्रबल होता जा रहा  है कि इस घोटाले से विभागीय अधिकारी भी किसी न किसी स्तर पर जुड़े होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है और विभाग ने इतनी बड़ी अनियमितता की जांच को ठंडे बस्ते में डाल कर रखा है।


डॉ एचपी द्विवेदी के खिलाफ 29 लाख 90 हजार 834 रुपए की गडबड़ी की जांच 12 दिसम्बर 2017 से चल रही है। हमने रायपुर रिपोर्ट भेजी थी पुन: जांच कर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। हम सप्ताहभर में जांच प्रतिवेदन भेज रहे हंै। इसके अलावा केन्द्र से आई 15 लाख के रिवाल्बिंग फण्ड की राशि डॉ द्विवेदी ने अपने पर्सनल खाते में डाल ली है, उसकी जांच भी चल रही है। जांच में जरूरी जानकारी देने में डॉक्टर आना-कानी कर रहे हैं वहीं एचपी द्विवेदी को लगातार तीन दिनों से मोबाइल 9424291472 पर बात करने की कोशिश की जा रही है। घंटी बजने के बाद भी वे मोबाइल नहीं उठा रहे हैं और न ही कार्यालय आ रहे हंै।
डीके नेताम उप संचालक पशु विभाग कोण्डागांव

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