चुनाव के शोरगुल के बीच प्रदेश के हनुमानगढ़ जिले की नोहर विधानसभा क्षेत्र में एक गांव ऐसा भी जहां पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. इस गांव में ना तो किसी पार्टी का कोई झंडा या बैनर नजर आता है और ना ही कोई वहां चुनावी चर्चा करता है. गांव की इस खामोशी के पीछे छिपा है एक दर्द. इस दर्द के चलते ग्रामीणों ने मतदान के बहिष्कार की घोषणा कर रखी है. इस पीड़ा से ग्रामीण इतने गुस्से में है किसी भी पार्टी का नेता उनका सामना करने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहा है. इसलिए वो भी इस गांव में आने से कतरा रहे हैं.
यह गांव है जसाना. मतदान के बहिष्कार का कारण है गांव के पवन व्यास के हत्यारों का पुलिस द्वारा अभी तक पता नहीं लगा पाना. करीब सात हजार की आबादी वाले इस गांव में 17 अक्टूबर 2017 को गांव के अटल सेवा केन्द्र में ई-मित्र संचालक पवन व्यास की दिनदहाड़े नृशंस हत्या कर दी गई थी. घटना के 14 महीनों बाद भी पुलिस हत्यारों का सुराग नहीं लगा पाई. अब मामला सीआईडी-सीबी के पास है.
प्रशासन कर रहा है ग्रामीणों को पाबंद
प्रशासनिक अधिकारियों का आलम यह है कि वे ग्रामीणों को समझाने की बजाय उल्टा उन्हें ही पाबंद कर रहे हैं. नोहर एसडीएम ने अब तक कई लोगों को पाबंद किया है. गांव में किसी भी राजनीतिक पार्टी या किसी भी प्रत्याशी का प्रचार नहीं हो रहा, बल्कि ग्रामीण ऊंट पर बैनर लगाकर मतदान बहिष्कार का प्रचार जरूर कर रहे हैं. इस ऊंट को प्रतिदिन गांव और आसपास की ढ़ाणियों में घुमाया जा रहा है.
गांव के कार्यकर्ताओं ने पार्टियों के झण्डे तक हटा दिए
राजनैतिक पार्टियों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने अपने घरों से अपनी-अपनी पार्टियों के झण्डे तक हटा दिए हैं. इस मामले पर जिला कलक्टर दिनेशचन्द्र जैन का कहना है कि उनको प्रत्यक्ष रूप से मतदान बहिष्कार की कोई सूचना नहीं है