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नक्सलियों ने लिया हरे रंग की वर्दी ना पहनने का निर्णय, रहेंगे आम आदमियों की तरह

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नई दिल्ली. माओवादी अपनी रणनीति और गुरिल्ला युद्ध के तौर-तरीकों में बड़े पैमाने पर परिवर्तन करने जा रहे हैं. सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बचने के लिए नक्सली अपना ड्रेस कोड भी बदलेंगे. जानकार सूत्रों से मिली खबर में बताया गया है कि अब वे मिलिटरी से मिलती-जुलती हरे रंग की वर्दी नहीं पहनेंगे ताकि सुरक्षा बलों की नजरों से बच सकें और अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकें.

यह रणनीति उन सभी इलाकों में आजमाने की तैयारी है जहां माओवाद का गढ़ है और जहां माओवादी अपने अड्डे बनाते हैं. आजतक के हाथ लगी इंटेलिजेंस रिपोर्ट में बताया गया है कि माओवादी महिलाओं और बच्चों को खुफिया जानकारी जुटाने के लिए बड़ी संख्या में भर्ती करने की योजना बना रहे हैं. महिलाओं और बच्चों की संख्या बढ़ाकर माओवादी अपने इलाकों में इंटेलीजेंस नेटवर्क चुस्त करने की तैयारी कर रहे हैं.

सुरक्षा बलों की अक्सर चिंता रही है कि नक्सली उनकी तरह कपड़े पहनते हैं. इस कारण ऑपरेशन के दौरान उन्हें पहचानने में दिक्कत आती है. पिछली कुछ घटनाओं पर गौर करें तो छत्तीसगढ़, ओडिशा के साथ-साथ झारखंड में कई नक्सली सीआरपीएफ की वर्दी, जूते और कैप में देखे गए थे. खास बात यह है कि यह ड्रेस बाजार में आसानी से उपलब्ध है जिसका फायदा नक्सली उठाते हैं और सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर पानी फेरने के लिए ऐसे कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं.

सुरक्षा बलों ने जहां माओवादियों से खुद को बचाने के लिए हरे रंग की ड्रेस पर चिंता जताई है, तो नक्सलियों ने भी अपने काडरों से यह ड्रेस न पहनने की अपील की है. नक्सलियों ने अपनी मिलिटरी कमान को छोड़कर बाकी सभी सदस्यों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे माओवादी ड्रेस न पहनें. यह निर्देश हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने वाले कैडरों के लिए भी है. निर्देश में कहा गया है कि नक्सली कैडर हमेशा सादा वेश में रहें ताकि कोई उन्हें न पहचान सके.

इसके साथ ही अगर गांव के इलाकों में नक्सली लड़ाके जाते हैं तो वह आम आदमियों की तरह ही घूमें. इस तरह की इंटेलिजेंस रिपोर्ट खुफिया विभाग को मिली है जिसके आधार पर सुरक्षा बलों को अलर्ट किया गया है कि सिविल ड्रेस में नक्सली आकर सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की कोशिश कर सकते हैं. इससे सुरक्षाबलों को खासा नुकसान हो सकता है अलर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसे संदिग्ध सिविल लोगों पर भी नजर रखी जाए जो किसी न किसी रूप में नक्सली हो सकते हैं.

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