छत्तीसगढ़ : नारायणपुर निर्वाचन क्षेत्र में मंगलवार (7 नवंबर) मतदान केंद्र
आम लोगों ने इस पर शायद ध्यान भी नहीं दिया, लेकिन वहां मौजूद कुछ मीडियाकर्मी उस महिला पुलिसकर्मी की तरफ दौड़े. लोगों ने उससे वोट डालने का अनुभव पूछा, तो सब हैरान हो गए.
34 वर्षीय इस कॉन्स्टेबल सुमित्रा साहू नाम की यह कॉन्स्टेबल पीटीआई की खबर के मुताबिक, दिसंबर 2018 से पहले सुमित्रा साहू नारायणपुर में माओवादियों की आमदई एरिया कमेटी के एक सक्रिय कमांडर के रूप में काम करती थीं. उनके जीवन में दिसंबर 2018 के बाद से लगातार बदलाव आ रहे हैं पर यह पल सबसे खास बन गया.
जनवरी 2019 में पुलिस में हुईं थीं शामिल
जनवरी 2019 में पुलिस बल में शामिल हो गईं. उन्होंने शुरुआत में एक गुप्त सैनिक के रूप में काम किया और बाद में उन्हें एक कॉन्स्टेबल के रूप में प्रमोट कर दिया गया.
पहले करती थीं चुनाव बहिष्कार के प्रचार का काम : नारायणपुर जिले के कड़ेनार गांव की रहने वाली सुमित्रा साहू 2004 में प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादियों) की सांस्कृतिक शाखा चेतना नाट्य मंडली के सदस्य के रूप में नक्सलवाद में शामिल हो गईं थीं. उन्हें खूंखार माओवादी नेता और तत्कालीन पूर्वी बस्तर डिवीजन सचिव उर्मिला ने भर्ती किया था.
सुमित्रा साहू ने कहा कि उन्हें संसदीय, विधानसभा और पंचायत चुनावों के दौरान माओवादियों की ओर से किए गए बहिष्कार के आह्वान का प्रचार करने का भी काम सौंपा गया था. वह कहती हैं कि अब मुझे खुशी है कि मैं आम जिंदगी जी रही हूं. पहली बार मंगलवार को अपने मताधिकार का प्रयोग करके अच्छा लगा.
126 गांवों में पहली बार बने थे मतदान केंद्र
मंगलवार को माओवादी हिंसा के बीच राज्य विधानसभा चुनाव के पहले चरण के दौरान 20 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हुआ. बस्तर सर्कल के 126 गांवों के निवासियों ने खुशी मनाई क्योंकि आजादी के बाद सात वामपंथी उग्रवादी (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों में उनके गांवों में पहली बार मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे. कुल 20 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए लगभग 71 प्रतिशत का मतदान हुआ.