किसान यूनियन प्रवक्ता राकेश टिकैत इन दिनों छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के प्रवास पर पहुंचे हुए हैं, जहां वे यहां के आदिवासी किसानों से मुलाकात कर उनके द्वारा उगाई जा रहे फसलों की जानकारी और उनके भाव की जानकारी ले रहे हैं.
सुकमा प्रवास के दौरान राकेश टिकैत ग्रामीणों से मुलाकात करने और सुकमा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह राकेश टिकैत ने कहा 4 दशकों से बस्तर नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए बातचीत के जरिए ही रास्ता निकाला जाना चाहिए. टिकैत ने कहा कि इस क्षेत्र के किसानों के पास बड़ी मात्रा में खेती किसानी के लिए जमीन होने के बावजूद भी उनकी स्थिति जस की तस बनी हुई है और उनका आर्थिक विकास नहीं हो पा रहा है. साथ ही इनके फसलों को भी सरकार की ओर से सही भाव नहीं मिल पा रहा है
राकेश टिकैत खासकर बस्तर संभाग पूरी तरह से केंद्र और राज्य सरकार दोनों क्षेत्र को विकसित करने के लिए कोई प्रयास कर रही है. इस क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण और किसानों के पास अच्छी खासी जमीन भी है, लेकिन इन किसानों का आर्थिक विकास नहीं हो पाने की वजह से उनके पास अच्छी फसलों को लगाने के लिए पैसे नहीं है. वही उनके द्वारा उगाए जाने वाले फसलों को सही भाव भी सरकार की ओर से नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते क्षेत्र के किसान पुरानी पद्धति से ही खेती कर अपना गुजारा कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इनके बेहतर जीवन के लिए उनके फसलों के भाव बढ़ने के साथ हाईटेक पद्धति, ऑर्गेनिक खेती के लिए किसानों को जागरूक किया जाना चाहिए.
नक्सलवाद का समाधान निकालने की जरूरत
बस्तर में नक्सलवाद का मुख्य कारण इस क्षेत्र में विकास नहीं पहुंच पाना है. आज भी गांव-गांव में सड़क, बिजली पानी की सुविधा नहीं है. शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा नहीं है. यहां के आदिवासी किसान और जनता पढ़े-लिखे नहीं होने की वजह से देश के अन्य राज्य और शहरों से काफी पिछड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में फोर्स तैनात है और पिछले लंबे समय से नक्सलवाद से लड़ाई लड़ रहे है, लेकिन नक्सलवाद के समाधान के लिए बातचीत ही एक साधन है, ऐसे में सरकार के प्रतिनिधियों और नक्सलियों को शांति वार्ता कर इसका समाधान निकालने की जरूरत है. यहां नक्सलवाद बढ़ने का कारण अशिक्षा, बेरोजगारी और गरीबी है. अगर सरकार इस पर ध्यान देती है तो जरूर नक्सलवाद का समाधान होगा और बातचीत से ही सही रास्ता भी निकलेगा.
राकेश टिकैत सुकमा पहुंचने के दौरान बीते 5 सितंबर को पुलिस नक्सलियों गांव के ग्रामीणों न्याय की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इसी आंदोलन के समर्थन में वे भी सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि इन ग्रामीणों से और मृतकों के घटना की सच्चाई जानें कि इस घटना की जरूर न्यायिक जांच होनी चाहिए.