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यहां देवों की गलतियों का होता है आकलन, जेल भी जाना पड़ता है

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स्कूल में बच्चा गलती करता है तो उसे टीचर सजा देती है. ऑफिस में कर्मचारी गलती करे तो उसे अधिकारी से फटकार सुननी पड़ती है. पर सर्व शक्तिमान माने जाने वाले भगवान को उनकी गलती की सजा देने की कोई सोच नहीं सकता है. लेकिन ऐसा होता है बस्तर के केशकाल में जहां भाद्रपक्ष द्वादशी के दिन गांव के देवी देवताओं के साल भर के कृत्य का आकलन किया जाता है. इसके लिए अदालत लगाई जाती है. खराब कृत्य वाले भगवान को उनकी गलती के हिसाब से सजा दी जाती है. इसमें सस्पेंड किए जाने से लेकर कारावास तक की सजा है.

ग्राम देवताओं की इस अनोखी अदालत में 9 परगना यानी 500 गांव के लोग अपने देवी देवताओं को लेकर केशकाल भंगाराम माई के दरबार में पहुंचते हैं. यहां देवी देवताओं के साल भर के कृत्य का आकलन किया जाता है. इस परम्परा के जानकार सुमेर सिंह नाग ने बताया कि देवी देवताओं के कार्यों की समीक्षा के बाद जो सफल होता है उसकी पूजा की जाती है और जो असफल होता है उसका दंड के रूप में विसर्जन कर दिया जाता है.

जिस तरह समाज में प्रथम न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था कानून को बनाए रखने के लिए होती है, ठीक वैसी ही व्यवस्था भंगाराम माई के दरबार में होती है. जानकार और गोंडवाना समाज समन्वय समिति के सचिव प्रभु लाल मरकाम ने बताया कि यहां असली और नकली की पहचान की जाती है.

बता दें कि रविवार 9 सितंबर को भंगाराम माई के दरबार का आयोजन हुआ. यहां देवाताओं के साल भर के कामकाज की समीक्षा की गई. इस दौरान असली और नकली देवों का परीक्षण किया गया. दरबार स्थल के पास ही सामान्य बोलचाल के अनुसार जेल खाना बनाया गया है जहां देवों का विसर्जन किया जाता है. कुवार्पात के उपाध्यक्ष जगदीश वट्टी ने बताया कि जो देवी देवता लोगों को साल भर परेशान करते हैं उन्हें इसी जगह पर लाकर विसर्जित कर दिया जाता है.

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